सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
      *"वृक्ष बचाओं"*
" वृक्ष बचाओ -वृक्ष लगाओ,
बनी रहे हरियाली-
बढ़ते रहें वन।
प्रात: भ्रमण को मिले,
सार्थकता-
तृप्त हो नयन।
शुद्ध हो वातारण,
कम हो प्रदूषण-
शांतिपूर्ण हो शयन।
महकता रहे जीवन में,
उपवन सारा-
सुगन्धित हो सुमन।
मिलते रहे फल फूल औषधी,
सार्थक हो जीवन-
बलिष्ठ हो तन-मन।
भटके न नभचर,
आसरा मिले उनको-
सार्थक हो वन।
वृक्ष बचाये-वृक्ष लगाये,
बनी रहे हरियाली-
बढ़ते रहें वन।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःः          सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःः          13-04-2020


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