कविता:-
*"समय"*
"समय रहते जीवन में साथी,
कुछ तो कर लो-
जीवन में विचार।
बीता समय लौटेंगा नहीं,
साथी,
जीवन मैं फिर से-
जतन करो हजार।
सद्कर्मो की पूजा हो साथी,
सत्य का हो साथ-
प्रभु भक्ति संग करो विचार।
बदल दें समय की धारा को,
मन में हो विश्वास-
वही तो बनता जीवन आधार।
समय का जाने मोल साथी,
समय हैं-अनमोल-
बीते समय पर नहीं जोर।
प्रभु कृपा होगी जीवन में,
समय भी होगा-अनुकूल-
होगे नहीं कभी बोर।
समय रहते जीवन में साथी,
कुछ तो कर लो-
जीवन में विचार।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.
ःःःःःःःःःःःःःःःः
24-04-2020
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
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