सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
     *"मन की बातें"*
"सोचते-सोचते साथी,
मन की बातें-
बीत गई कितनी रातें?
मिलना-मिलकर बिछुड़ना,
जीवन में-
दे गया कई सौगातें।
अपनत्व की धरती पर,
रह गई -
कही-अनकही बातें।
ठहर कर कुछ पल साथी,
होती जो उनसे-
कुछ मीठी बातें।
मिटती कटुता जीवन से,
छाता मधुमास-
पूनम की होती रातें।
सोचते-सोचते साथी,
मन की बातें-
बीत गई कितनी रातें ?"
ःःःःःःःःःःःःःःःःः          सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः       10-04-2020


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