सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
       *"सम्मान"*
"अपनत्व मिले अपनो से साथी,
अपनों को देते रहे सम्मान।
अपने-अपने संग चले न चले,
अपनों का कभी न करें अपमान।।
महकेगी जीवन बगिया अपनी,
जहाँ अपनत्व का होगा सम्मान।
मैं-ही-मैं में साथी कभी यहाँ,
जीवन में होगा नहीं कल्याण।।
त्यागमय हो जीवन अपना यहाँ,
सबका होगा जीवन में उत्थान।
अपनत्व की धरती पर साथी,
सबका करते ही रहे सम्मान।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःः  
          सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupt
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः         11-04-2020


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