कविता:-
*"सम्मान"*
"अपनत्व मिले अपनो से साथी,
अपनों को देते रहे सम्मान।
अपने-अपने संग चले न चले,
अपनों का कभी न करें अपमान।।
महकेगी जीवन बगिया अपनी,
जहाँ अपनत्व का होगा सम्मान।
मैं-ही-मैं में साथी कभी यहाँ,
जीवन में होगा नहीं कल्याण।।
त्यागमय हो जीवन अपना यहाँ,
सबका होगा जीवन में उत्थान।
अपनत्व की धरती पर साथी,
सबका करते ही रहे सम्मान।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःः
सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupt
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः 11-04-2020
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुनील कुमार गुप्ता
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