सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
     *"मरीचिका"*
"पतझड़ के मौसम में साथी,
मधुमास का अहसास-
मृग मरीचिका है जीवन में।
स्वार्थ की धरती पर साथी,
अपनत्व का अहसास-
मृग मरीचिका है-जीवन में।
स्नेंह मिले जीवन में साथी,
नफ़रत हो मन में-
सुख मृग मरीचिका है जीवन में।
सुख मुठ्ठी में रेत की भाँति साथी,
सरकता है रहा सुख-
बाँधना मृग मरीचिका है जीवन में।
तपती धूप में मरूस्थल में साथी,
पानी का अहसास-
मृग मरीचिका है जीवन में।
मंज़िल की तलाश में भटकता मन,
मंज़िल का पाना-
मृग मरीचिका हैं जीवन में।।"
ःः     सुनील कुमार गुप्ता
     01-04-2020


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