कविता:-
*" मेरा पहला प्यार"*
"मेरा पहला प्यार,
है प्रभु तुमसे-
कर लो स्वीकार।
माँ का प्यार इतना,
याद है -मुझे-
पिता का दुलार।
यौवन की दहलीज़.पर प्रभु,
भेजी कमसिन प्यारी सी-
जिसने सपने किये साकार।
सब कुछ मिला जीवन में,
कृपा रही प्रभु की-
मेरा नमन करो स्वीकार।
बिन माँगे मिला सुख इतना,
दु:ख का नही अहसास-
मेरा नमन करो स्वीकार।
मेरा पहला प्यार,
हैं प्रभु तुमसे-
कर लो स्वीकार।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta
04-04-2020
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुनील कुमार गुप्ता
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