दिल में जब भगवान रहेगा।
धरती पर इंसान रहेगा।
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हम सब भूलें दुख के लम्हे।
क्या ऐसा आसान रहेगा।
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पास खुदा के जाना सबको।
कब तक तू अनजान रहेगा।
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जब तक कोरोना का डर है।
जीवन ये सुनसान रहेगा।
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अपने भय से खुद जो जीते।
बस वो ही बलवान रहेगा।
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वक्त सजग रहने का है ये।
बेसुध तो नादान रहेगा।
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धीरज खोया गर जो सबने।
कटता फिर चालान रहेगा।
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सुनीता असीम
२३/४/२०२०
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुनीता असीम
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