सुनीता असीम

बड़ा ही नास्तिक है जो खुदा के दर नहीं जाता।
मिला वरदान हो कितना उसे पाकर नहीं जाता।
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उसे पैदा किया  जिसने  सवालों  में  उसे    घेरे।
दुखों के वक्त उसके पास वो सुनकर नहीं जाता।
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किया है सामना जिसने दुखों से सिर्फ  डटकर के।
वो सीमा से सुखों की फिर कभी बाहर नहीं जाता।
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उन्हें बस पास जाना सिर्फ अब भगवान के कहते।
वो जाने हैं वहां कोई कभी       जीकर नहीं जाता।
***
ये  सुनकर  रास्ते  में  मौत  पहरा  दे  रही   अपने।
समझदारी  दिखा  कोई  बशर   बाहर नहीं जाता।
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सुनीता असीम
१८/४/२०२०


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