प्यार जिनसे किया था जी भरके।
जिन्दगी भर वही झगड़ते रहे।
***
आशिकी से भरे कई सपने।
मेरी आँखों में रोज पलते रहे।
***
बस भलाई किया करे जिनकी।
उनकी आँखों में ही खटकते रहे।
***
चाँद तारों के साथ रातों में।
मेरे अहसास भी तो ढलते रहे।
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पल बिताए जो साथ उनके वो।
खुशबू बनके थे महकते रहे।
***
सुनीता असीम
10/4/2020
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुनीता असीम
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