सुनीता असीम

प्यार जिनसे किया था जी भरके।
जिन्दगी भर वही झगड़ते रहे। 
***
आशिकी से भरे कई सपने।
मेरी आँखों में रोज पलते रहे।
***
बस भलाई किया करे जिनकी।
उनकी आँखों में ही खटकते रहे।
***
चाँद तारों के साथ रातों  में।
मेरे अहसास भी तो ढलते रहे।
***
पल बिताए जो साथ उनके वो।
खुशबू बनके थे महकते रहे।
***
सुनीता असीम
10/4/2020


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