सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता" झज्जर (हरियाणा

साधु जान सुरक्षित नहीं... 


कोई भी जगह आरक्षित नहीं. 
यहाँ तो साधु भी सुरक्षित नहीं. 


कहने को तो सब आज़ादी है, 
कोई जाति-विशेष लक्षित नहीं. 


मार - काट का द्वंश चल रहा, 
सरकार का ध्यान चिन्हित नहीं. 


हर दिन की घटनाएं हो चली, 
कोई वार्षिक या पाक्षिक नहीं. 


क्या मिला होगा उनको मारकर, 
वो तो जेहादी या नास्तिक नहीं. 


प्रशासन झूठे और मक्कारों का, 
नेता की बातें वास्तविक नहीं. 


सबका ज़मीर मरा जो आस्तिक नहीं, 
"उड़ता "क्या ये घटना मार्मिक नहीं. 



स्वरचित मौलिक रचना. 



द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता"
झज्जर (हरियाणा )


संपर्क - +91-9466865227


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...