मखां आज सारी हद पार होगी,
लॉकडाउन म्ह गरीब मार होगी।
एक दम तै बैरण लड़ण लाग्गी,
जो काम नै माड़ी सी वार होगी।
मैं बोल्या भागवान थम बी ज्या,
इतनी सुनदे ऐ लत्तां तै बार होगी।
बोली पहल्यां दो कामां की हाँ भर,
भाइयों खड़ी ले कै तलवार होगी।
मैं बोल्या कर दयूंगा तू काम बता,
के करदा बात मेरे तै लाचार होगी।
बोली सांझ की रोटी तू ऐ पोवैगा,
काम करदे करदे मैं बीमार होगी।
दूसरा पानी के पतासे बना दिए,
देखै घराँ पड़ी इमली खटार होगी।
इतनी सुनकै बात समझ म्ह आई,
या क्यूँ न्यू लड़ण खातर त्यार होगी।
जीभ चटोरी इसकी डंक मारै थी र,
पानी के पतासे बनै तै बंद रार होगी।
"विकास" लॉकडाउन ना यू काल स,
मैं बना जोरू वा मेरी भरतार होगी।
©® विकास शर्मा
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