भजन --
तेरे प्रेम से हर तरफ़ है उजाला ।
मेरे नंदलाला मेरे नंदलाला ।।
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हवाएं भी निर्भर हैं जिसपर जहाँ की
कभी सुध तो ले वो भी आकर यहाँ की
न जाने कहाँ है मेरा वंशी वाला ।।
मेरे नंदलाला-----
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व्याकुल हैं कितनी ये गोकुल की गलियाँ
कि रो रो के खिलती हैं मासूम कलियाँ
पुकारे है तुझको तो हर ब्रजबाला ।।
मेरे नंदलाला-----
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तेरी बाँसुरी औ'र राधा की पायल
करे गोपियों के कलेजे को घायल
जलाई है कैसी विकट प्रेम ज्वाला ।।
मेरे नंदलाला ------
🍂
तेरे प्यार की ये कैसी अगन है
प्रेम रस पीकर ही मीरा मगन है
मेरे मन को भी तूने उलझा ही डाला ।।
मेरे नंदलाला -------
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कन्हैया यह लीला जो तूने रचाई
किसी की समझ में अभी तक न आई
कि अर्जुन को कैसे भ्रम से निकाला ।।
मेरे नंदलाला -------
🌾
छँटेगा मेरे मन से कबतक कुहासा
मैं जन्मों से हूँ तेरे दर्शन का प्यासा
कहीं टूट जाये न आशा की माला ।।
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कहाँ तक पुकारे ये *साग़र* कन्हाई
कहाँ तक ये मन तुझको दे अब दुहाई
पड़ा है ये कैसा तेरे ग़म से पाला ।।
मेरे नंदलाला-----
तेरे प्रेम से-------
🖋विनय साग़र जायसवाल
22/2/2002
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