गजल
212 212 212 212
हुस्न अपने का जलबा दिखाओ कभी
प्यार का दीप दिल में जलाओ कभी
देखकर आपको हम दिवाने हुए
आप भी देखकर मुस्कुराओ कभी
ख्याल आते रहे नींद आती नहीं
नींद आये तो ख्बाबों में आओ कभी
मिल गये राह में हम ठिठकने लगे
कुछ कदम तुम भी अपने बढ़ाओ कभी
लगना सीने से तो दूर की बात है
पहले नजरों से नजरें मिलाओ कभी
विष्णु कब तक अकेला भटकता रहे
थाम हाथों को रस्में निभाओ कभी
विष्णु असावा
बिल्सी ( बदायूँ )
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