बुझे दिए जला दे ,अंधेरों में कर दे उजियारा। दिशा ,दृष्टि,दृष्टिकोण बता दे समझो कवि कि कविता है।।
जीवन कि आपा धापी मृग मरीचिका । जीवन का उद्देश्य बता दे। समझो कवि कि कविता है ।।
गिरते, उठाते ,उलझे ,सिमटे जीवन कि राहों का । अवरोध हटा दे । समझो कवि कविता है।।
कायर में पुरुषार्थ जगा दे हतोत्साहित में उत्साह जगा दे।
समझो कवि कि कविता है ।।
थके हुये में उमंग का तरंग जगा दे पराजित को पथ विजय बता दे। समझो कवि कि कविता है।।
युवा ओज का तेज बना दे युग को मूल्य मूल्यवान बना दे ।समझों कवि कि कविता है।।
मरुस्थल में दरिया ,झरना ,झील बहा दे । समझो कवि कि कविता है।।
खुली आँखों के सोये मन में चेतना कि जागृति ,जागरण जगा दे।
समझो कवि कि कविता है।।
पत्थर को मोम् बना दे ,लोहे के शस्त्र पिघला दे । समझो कवि कि कविता है ।।
रक्त रंजीत तलवारों फूलों की बारिस करवा दे । फुलों को शूल ,शूल बना दे ,शूलों को फूल बना दे।
समझो कवि कि कविता है।।
नदियां ,झरने, प्रकृति, प्राणी पशु ,पक्षी को श्रृंगार के आभूषण का आवाहन कर दे। समझों कवि कि कविता है।।
मजबूर ,मजलूम को अंतर मन कि शक्ति का आभास करा दे । समझो कवि कि कविता है।।
भटके को उद्देश्य बता दे मानव को मानवता मूल्य मूल्यवान बना दे।
समझो कवि कि कविता है ।।
युग, समाज का संस्कृति ,संस्कार अतीत के दर्पण में वर्तमान कि शक्ल दिखा दे ।
समझो कवि कि कविता है।।
आत्मा का परम् सत्य ,परमात्मा में विलय करा दे । सूर ,तुलसी ,मीरा ,कबीर,रासखान
कि भक्ति का भाव जगा दे।
सिद्धार्थ को बुद्ध बना दे। समझो कवि कि कविता है।।
साधारण को
असाधारण वर्तमान कि चुनौती बना दे । इतिहास का निर्माण करा दे पृथ्वी ,बरदायी का राग सुना दे। समझो कवि कि कविता है ।
सूने मन में प्रेम के भाव जगा गोपी,राधा, कान्हा के प्रेम जगत का सार बता दे । समझो कवि कि कविता है ।।
कृपण, क्रोध को दांनबीर और सौम्य बना दे । कुटिल ,कठोर में दया , छमाँ का भाव जगा दे । समझो कवि कि कविता है।।
जीवन के कुरुक्षेत्र के संग्रामो का विजयी का शत्र शास्त्र बना दे। समझो कवि कि कविता है ।।
अज्ञान में ज्ञान का प्रकाश जला दे काली को कालिदास, हुलसी के तुलसी को तुलसी दास बना दे। समझो कवि कि कविता है।।
मानव मन ,मस्तिष्क, ह्रदय में स्वतंत्रता के अस्ति ,अस्तित्व का भाव जगा दे । समझो कवि कि कविता है ।।
खंड ,खंड को अखंड बना दे चाणक्य का चंद्र गुप्त बना दे। समझो कवि कि कविता है।।
परतंत्रता से लड़ते स्वतंत्रता के महारथियों को धरती माँ के स्वाभिमान में । रंग बसंती चोला केशरिया बाना पहना दे । समझो कबि कि कविता है ।।
पराक्रम ,त्याग ,तपश्या ,बलिदानों के अतीत का वर्तमान जगा दे। समझो कवि कविता है।।
उदासी ,गम मायूसी में हास्य्, परिहास ,व्यंग ,मुस्कान कि फुहार वर्षा दे ।
समझो कवि कि कविता है।।
रस ,छन्द ,अलंकार से गीत, ग़ज़ल संगीत समारोह कि अलख जगा दे ।
समझो कवि कि कविता है।।
काल को मोड़ दे ,राह सारे खोल दे ,विकट ,विकराल को बौना बना दे । बौने को कराल महाकाल बना दे । समझो कवि कि कविता हैं।।
कल्पना का सत्यार्थ प्रकाश शब्द शिल्पी के शब्दों का चमत्कार । समझो कवि कि कविता है।।
नीर ,नदी ,का निर्झर ,निर्मल अविरल ,प्रवाह । सागर कि गहराई से उठता ज्वार भाँटा तूफ़ान का समय समाज कवि के धर्म ,कर्म कि बान।
कर्तव्य दायित्व बोध के कवि का शंखनाद भाषा साहित्य का साहित्य कार।
युग ,समय ,समाज का संचार संबाद । कवि कीमकर्तव्य बिमुड़ हुआ यदि समझो लूट ,मिट गया।
युग, समय समाज वर्तमान इतिहास।।
कवि समय युग समय कि आवाज़ त्रेता का वाल्मीकि द्वापर का वेदपव्यास कलयुग का सुर,कबीर ,मीरा,बिहारी,रहीम वरदायी तुलसीदास।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बरबुझे दिए जला दे ,अंधेरों में कर दे उजियारा। दिशा ,दृष्टि,दृष्टिकोण बता दे समझो कवि कि कविता है।।
जीवन कि आपा धापी मृग मरीचिका । जीवन का उद्देश्य बता दे। समझो कवि कि कविता है ।।
गिरते, उठाते ,उलझे ,सिमटे जीवन कि राहों का । अवरोध हटा दे । समझो कवि कविता है।।
कायर में पुरुषार्थ जगा दे हतोत्साहित में उत्साह जगा दे।
समझो कवि कि कविता है ।।
थके हुये में उमंग का तरंग जगा दे पराजित को पथ विजय बता दे। समझो कवि कि कविता है।।
युवा ओज का तेज बना दे युग को मूल्य मूल्यवान बना दे ।समझों कवि कि कविता है।।
मरुस्थल में दरिया ,झरना ,झील बहा दे । समझो कवि कि कविता है।।
खुली आँखों के सोये मन में चेतना कि जागृति ,जागरण जगा दे।
समझो कवि कि कविता है।।
पत्थर को मोम् बना दे ,लोहे के शस्त्र पिघला दे । समझो कवि कि कविता है ।।
रक्त रंजीत तलवारों फूलों की बारिस करवा दे । फुलों को शूल ,शूल बना दे ,शूलों को फूल बना दे।
समझो कवि कि कविता है।।
नदियां ,झरने, प्रकृति, प्राणी पशु ,पक्षी को श्रृंगार के आभूषण का आवाहन कर दे। समझों कवि कि कविता है।।
मजबूर ,मजलूम को अंतर मन कि शक्ति का आभास करा दे । समझो कवि कि कविता है।।
भटके को उद्देश्य बता दे मानव को मानवता मूल्य मूल्यवान बना दे।
समझो कवि कि कविता है ।।
युग, समाज का संस्कृति ,संस्कार अतीत के दर्पण में वर्तमान कि शक्ल दिखा दे ।
समझो कवि कि कविता है।।
आत्मा का परम् सत्य ,परमात्मा में विलय करा दे । सूर ,तुलसी ,मीरा ,कबीर,रासखान
कि भक्ति का भाव जगा दे।
सिद्धार्थ को बुद्ध बना दे। समझो कवि कि कविता है।।
साधारण को
असाधारण वर्तमान कि चुनौती बना दे । इतिहास का निर्माण करा दे पृथ्वी ,बरदायी का राग सुना दे। समझो कवि कि कविता है ।
सूने मन में प्रेम के भाव जगा गोपी,राधा, कान्हा के प्रेम जगत का सार बता दे । समझो कवि कि कविता है ।।
कृपण, क्रोध को दांनबीर और सौम्य बना दे । कुटिल ,कठोर में दया , छमाँ का भाव जगा दे । समझो कवि कि कविता है।।
जीवन के कुरुक्षेत्र के संग्रामो का विजयी का शत्र शास्त्र बना दे। समझो कवि कि कविता है ।।
अज्ञान में ज्ञान का प्रकाश जला दे काली को कालिदास, हुलसी के तुलसी को तुलसी दास बना दे। समझो कवि कि कविता है।।
मानव मन ,मस्तिष्क, ह्रदय में स्वतंत्रता के अस्ति ,अस्तित्व का भाव जगा दे । समझो कवि कि कविता है ।।
खंड ,खंड को अखंड बना दे चाणक्य का चंद्र गुप्त बना दे। समझो कवि कि कविता है।।
परतंत्रता से लड़ते स्वतंत्रता के महारथियों को धरती माँ के स्वाभिमान में । रंग बसंती चोला केशरिया बाना पहना दे । समझो कबि कि कविता है ।।
पराक्रम ,त्याग ,तपश्या ,बलिदानों के अतीत का वर्तमान जगा दे। समझो कवि कविता है।।
उदासी ,गम मायूसी में हास्य्, परिहास ,व्यंग ,मुस्कान कि फुहार वर्षा दे ।
समझो कवि कि कविता है।।
रस ,छन्द ,अलंकार से गीत, ग़ज़ल संगीत समारोह कि अलख जगा दे ।
समझो कवि कि कविता है।।
काल को मोड़ दे ,राह सारे खोल दे ,विकट ,विकराल को बौना बना दे । बौने को कराल महाकाल बना दे । समझो कवि कि कविता हैं।।
कल्पना का सत्यार्थ प्रकाश शब्द शिल्पी के शब्दों का चमत्कार । समझो कवि कि कविता है।।
नीर ,नदी ,का निर्झर ,निर्मल अविरल ,प्रवाह । सागर कि गहराई से उठता ज्वार भाँटा तूफ़ान का समय समाज कवि के धर्म ,कर्म कि बान।
कर्तव्य दायित्व बोध के कवि का शंखनाद भाषा साहित्य का साहित्य कार।
युग ,समय ,समाज का संचार संबाद । कवि कीमकर्तव्य बिमुड़ हुआ यदि समझो लूट ,मिट गया।
युग, समय समाज वर्तमान इतिहास।।
कवि समय युग समय कि आवाज़ त्रेता का वाल्मीकि द्वापर का वेदपव्यास कलयुग का सुर,कबीर ,मीरा,बिहारी,रहीम वरदायी तुलसीदास।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर