अविनाश सिंह

🌱🌱 *हाइकु* 🌱🌱


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प्रकृति हवा


मिलती हैं जहाँ


रहना वहाँ।


 


पाखंडी लोग


बदलते है भेष


फैलाते द्वेष।


 


पावन गंगा


धोती सभी के पाप


करे विलाप।


 


मिले जो रोटी


न चावल न बोटी


ग़रीबी होती।


 


तारे हज़ार


गिनूं मैं हर बार


व्यर्थ कार्य।


 


फूल सी कली


जंगल में है मिली


खून से सनी।


 


बेटी की शिक्षा


काम काज की दीक्षा


नकली शिक्षा।


 


गोद में पली


ससुराल में जली


पेड़ पे मिली।


 


रोटी आचार


नही कोई विचार


गरीब लाचार।


 


बून्द-समुद्र


मिट्टी से बने घर


ये याद रख।


 


बेटी पढ़ाओ


झाड़ू पोछा कराओ


आगे बढ़ाओ।


 


कड़ी धूप में


सींच रहा है खेत


खून से रेत।


 


*अविनाश सिंह*


*8010017450*


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