दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल         महराजगंज, उत्तर प्रदेश

शीर्षक - नशा 


 


नशा करे जो आह भरे,


लग जाये जीवन पे विराम


प्रेम पिलाया जो पिये


नशा करे हर सुबहे शाम।


 


कश लेने पे लगाओ विराम,


जप रघुपति राघव राजा राम।


 


क्यों करते हो नशा डटकर,


लिये हाथ में लिये साथ।


संकट जब बढ़ जायेगा


कैसे दोगे अपनों का साथ।


 


जीवन से मुक्त हो जाओगे,


साथ नहीं देंगे ऐसे में राम।


 


परिवारों पर दो तुम ध्यान, 


रटते रहो राम का नाम।


लेते रहोगे जब कश पर कश


नहीं मिलेगा कहीं सम्मान।


 


नहीं करोगे ढंग से काम,


बदहाली धायेगी हर सुबहे शाम।


 


जीवन है अनमोल तुम्हारा


बनो किसी का तुम सहारा


छोड़ो अपनी बुरी आदतें


नशा न हो अब तुमको प्यारा।


 


फ्री में हो जाओगे ऐसे बदनाम,


मिलेगा नहीं फिर कभी सम्मान।


 


रचना - दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल


 


        महराजगंज, उत्तर प्रदेश ।


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