डॉ. सुषमा कानपुर

*अक्षयपात्र*


घर में बांस की खटिया पर बैठी भाभी के हाथ की कटहल की पकौड़ी खाते हुए याद आया कि बेटे ने कुछ खाया होगा या नही!यही सोचकर फोन मिला दिया।


फोन बेटे की जगह उसके सहपाठी मित्र ने उठाया,"आंटी जी अभी वो पकौड़ी बना रहा है,और हम तीनों खा रहे हैं, आज पकौड़ा पार्टी हो रही है।


हमने फोन काट दिया और शकून से खाने लगी।


थोड़ी देर बाद बेटे का फोन आया।


मम्मी ये बेसन डिब्बे में तो थोड़ा सा दिख रहा था,पानी डालने के बाद बहुत हो गया,चार प्याज डाली तो पता ही नही चला फिर हमने छः प्याज हरी धनिया जीरा और मिर्च और डाल लिया।आधी परात भर गई ।


इतने पकौड़े बनते गए कि जैसे परात न होकर #अक्षयपात्र हो।


इसीलिए तीनों दोस्तो को बुला लिया। पकौड़ी हमने बनाई बर्तन इन लोगों ने धोया और किचन भी साफ कर दिया।


हमको कोई काम नही करना पड़ा।


"बेटा वो एक किलो बेसन था जिसमे से केवल एक दिन कढ़ी बनाई गई थी।"


हँय🤔


@


*अक्षयपात्र*


घर में बांस की खटिया पर बैठी भाभी के हाथ की कटहल की पकौड़ी खाते हुए याद आया कि बेटे ने कुछ खाया होगा या नही!यही सोचकर फोन मिला दिया।


फोन बेटे की जगह उसके सहपाठी मित्र ने उठाया,"आंटी जी अभी वो पकौड़ी बना रहा है,और हम तीनों खा रहे हैं, आज पकौड़ा पार्टी हो रही है।


हमने फोन काट दिया और शकून से खाने लगी।


थोड़ी देर बाद बेटे का फोन आया।


मम्मी ये बेसन डिब्बे में तो थोड़ा सा दिख रहा था,पानी डालने के बाद बहुत हो गया,चार प्याज डाली तो पता ही नही चला फिर हमने छः प्याज हरी धनिया जीरा और मिर्च और डाल लिया।आधी परात भर गई ।


इतने पकौड़े बनते गए कि जैसे परात न होकर #अक्षयपात्र हो।


इसीलिए तीनों दोस्तो को बुला लिया। पकौड़ी हमने बनाई बर्तन इन लोगों ने धोया और किचन भी साफ कर दिया।


हमको कोई काम नही करना पड़ा।


"बेटा वो एक किलो बेसन था जिसमे से केवल एक दिन कढ़ी बनाई गई थी।"


हँय🤔


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डॉ0 सुषमा


 कानपुर


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