"शिव स्वरूप अति सरल विशाला"
कल्याण हेतु सदा समर्पित,
सारा विश्व अत्यंत आकर्षित,
विश्व मोहक,
जन रंजक,
परम शान्त,
वेद वेदान्त,
अजर अमर,
सहज सहचर,
पर स्नेही,
त्रिलोक गेही,
अनन्त,
मायातीत सन्त,
सत्य ध्वजधारी,
निर्विकारी,
सम्पूर्ण
परिपूर्ण,
अद्वैत,
उमा संग द्वैताद्वैत,
अति प्रिय,
सरल महनीय,
शिवगीता,
विराट पुनीता,
नियमानन्दी
भजनानन्दी,
प्रेम रूप,
भक्ति स्वरूप,
सहज ज्ञानवान,
अनन्त विद्वान,
वज्र विशाल,
महा काल,
महा कालेश्वर,
उमामाहेश्वर,
अत्यंत भोला,
समाधिस्थ अकेला,
परम स्वतंत्र,
आध्यात्मिक लोकतंत्र,
भगवान शिव सतत प्रणम्य हैं,
सर्व सुलभ सुगम्य हैं,
बार-बार नमन,
अभिनन्दन व वन्दन।
रचनाकार:
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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