"पूजनीय माँ सरस्वती जी"
(चौपाई)
करुणाकरण पुण्य शिव सलिला।
सरस सुकंठ सौम्य कोकिला।।
नम्य अदम्य सुघर शुभ विद्या।
खुश हो देती वर नित आद्या।।
अति शुभमय विश्वास बनी हो।
भक्तजनों की आस बनी हो।।
त्रिपुर मोहिनी बनी लेखिका।
परम स्वतंत्र महान साधिका।।
साधन साध्य बनी इक तुम हो।
तीर नर्मदा नम अति प्रिय हो।।
बैठ हंस पर सोहर गाती।
घर-घर में उत्साह मनाती।।
छवि झाँकी अति प्रिया आरती।
पावन संस्कृति दिव्य भारती।।
सहज कुशल पोषक दिन-राती।
अग्र पंक्ति सम्मत वाराती।।
तिल अरु ताड़ तुम्हीं हो माता।
व्यापक अतिशय सूक्ष्म विधाता।।
कर्म प्रधान तुम्हीं हो जगमय।
धर्म विधान निधान सत्यमय।।
वीणा की मधु ध्वनि बन आओ।
सुप्त चेतना सतत जगाओ।।
रोग-भोग को नष्ट करो माँ।
दुःख-पीड़ित का कष्ट हरो माँ।।
चैन-नींद में हो हर प्राणी।
दो सुशांति माँ वीणापाणी।।
रचनाकार:
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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