जयश्री श्रीवास्तव जया मोहन प्रयागराज

विश्व हास्य दिवस पर एक हास्य गीत
हमका माफ कर दो
ओ लल्लू की महतारी
सारे घर का काम करते
झाड़ू पोछा कपड़े धोते
दफ्तर में साहब कहलाते
घर आकर नोकर हो जाते
कैसी बिगड़ गयी किस्मत
हमारी
हमका।।।


कभी प्रेम के बोल सुने न
कभी प्यार न पाया
जब भी बैठा पास तुम्हारे
हाथ और पैर दबाया
सेवा करता रहा मैं
हरदम तुम्हरी
हमका।।।।।
मैं तो दुबला पतला मरियल
तुम हो भैस की नानी
कांधे पर जब धौल जमाओ
रोये मेरी जवानी
दूर से ही बात करो तुम
ये विनती सुनो हमारी
हमका।।।।।।।
हम जो जानते लग जायेगा
गुलामी का ठप्पा
कबहूं ब्याह न करते हम
चाहे माई कहती या बप्पा
जीवन भर रह जाते कुँवारे
जैसे थे अन्ना अटल बिहारी
हमका माफ कर दो 
ओ लल्लू की महतारी
घर पर रह कर मनचाहा खाते रहिये
हमेशा हँसते मुस्कुराते रहिये
 हास्य दिवस की शुभकामनाएं
स्वरचित 
जयश्री श्रीवास्तव
जया मोहन
प्रयागराज
03,05,2020


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