*नहा रही है चिड़िया*
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बरखा रानी जम कर बरसों
देखो नहा रही है चिड़िया
जोर जोर से चू चू करती
खुशियां मना रही है चिड़िया।
इस चिड़िया की यही कहानी
जब भी बरसे जरा सा पानी
उड़ कर जल्दी से छत पर जाती
झट से नहा कर तुरन्त आ जाती।
मेघ गरजे मोर भी नाचे
सब खुशियों के गीत भी गाए
चिड़िया भी अपना गान सुनाएं
झट पट -झट पट चिड़िया नहाएं।
आज प्यासी धरा भी खुश है
पेड़ पौधे सभी सभी खुश हैं
जब भी सब चिड़िया को देखें
सभी कहे नहा रही है चिड़िया।
कितनी सुन्दर लग रही है
यह धरती और अम्बर
काले काले मेघों में भी
देखो नहा रही है चिड़िया।।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
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