नन्द लाल मणि त्रिपाठी
साहित्यिक उप नाम-पीताम्बर जन्म स्थान-----गोरखपुर
निवास -C--159 दिव्य नगर कालोनी पोस्ट -खोराबार जनपद-गोरखपुर -273010 उत्तर प्रदेश
भाषा ज्ञान------हिंदी, संस्कृत , अंग्रेजी ,बंग्ला
ज्ञान शैक्षिक स्तर---स्नातकोत्तर तक सभी बिसयों के अध्यापन क़ि योग्यता
समाजिक गतिविधि--1-युवा संवर्धन संरक्षण 2-बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ 3-महिला सशक्तिककर्ण 4--विकलांग अक्षम लोंगो के लिये प्रभावी परिणाम परक सहयोग
लेखन विधा--कविता ,गीत ,ग़ज़ल,उपन्यास , कहानी आदि
। प्रकाशित कृति--एहसास रिश्तों का,शुभा का सच उपन्यास और शौर्य का शंखनाद प्रकाशन स्तर पर।
अध्ययन एवम् अतिरिक्त ज्ञान--आधुनिक ज्योतिष विज्ञानं
,विशेष योग्यता ---वक्ता एवम् प्रेरक
साझा संकलन---धरोहर ,पिता, गुलमोहर ,अलकनंदा ,एहसास प्यार का, शब्दांजलि ,काव्य सरिता ,सपनो से हकीकत ,जमी आसमान ,काव्य चेतना, शहीद, शांति पथ, काव्य स्पर्श।
प्राप्त सम्मान--अंतररास्ट्रीय 1-नेपाल भारत वीरांगना फाउंडेशन राजेन्द्र नारायण सम्मान 2--एन आर बी फाउंडेशन भव्या इंटरनेशनल इंडियन वेस्टीज अवार्ड-2019 रास्ट्रीय---1-साहित्य सृजन मंच स्वर्गीय विपिन बिहारी मेहरोत्रा सम्मान 2-काव्य सागर यू ट्यूब कहानी प्रतियोगिता सम्मान 3-साहित्य कलश साहित्य रत्न पुरस्कार 4--कशी काव्य संगम उत्कृष्ट रचना धर्मिता सम्मान 5-बृजलोक साहित्य कला संस्कृत अकादमी श्रेठ साहित्य साधक सम्मान 6--साहित्य दर्पण भरतपुर श्रेठ लेखन सम्मान 7-उत्कृष्ट साहित्य सृजन गुलमोहर सम्मान 8-विश्व शांति मानव सेवा समिति विश्व शांति मानव सेवा रत्न सम्मान 9--काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान-2018 10-काव्य रंगोली साहित्य सम्मान 11--काव्य स्पर्श काव्य श्री साहित्य सम्मान 12--रास्ट्रीय कवि चौपाल एवम् ई पत्रिका हिंदी ब्लॉक स्टार हिंदी सम्मान-2019 13-राष्ट्रिय कबि चौपाल रामेश्वर दयाल दुबे सम्मान 14-युवा जाग्रति मंच कमलेश्वर साहित्य सम्मान 15-अखिल भारतीय साहित्य परिषद साहित्य भूषण सम्मान 16--अखिल भारतीय साहित्य परिषद साहित्य सम्राट सम्मान 17--अलकनंदा साहित्य सम्मान 18-के बी हिंदी साहित्य समिति नन्ही देवी हिंदी भूषण सम्मान 19--रॉक पिजन सम्मान 20--काव्य रंगोली महिमा मंडन पुरकार 21-काव्य रंगोली व्हॉट्स एप्प पुरस्कार -2018 22-काव्य कुल संसथान अटल शब्द शिल्पी सामान 23-धरोहर साहित्य अक्षत सम्मान 24-काव्य कलश राजेन्द्र व्यथित सम्मान 24-काव्य चेतना सम्मान आदि।
अन्य--साहित्य एक्सप्रेस ग्वालियर द्वारा नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर विशेषांक मार्च -2019
1-प्यार का नशा
यार के दीदार का नशा!!
नशा, नशा नहीं
मजा जिंदगी का।।
कही दौलत का है गुरुर नशा
कही शोहरत का सुरूर नशा!!
हुस्न की हस्ती का नशा
इश्क की मस्ती का नशा
नशा, नशा है जिंदगी का,
प्यार की बन्दगी का!!
किसी को दानिश इल्म का नशा
किसी को पत्थरों में
खुदा को खोजने का नशा!!
किसी को ईमान के इम्तेहान का नशा
किसी को ईमान बेचने का नशा!!
किसी का गैरों के खातिर मिटना
किसी को किसी लूटने का नशा!!
नशा न मैखाने में,
नशा न पैमाने में,
न हुस्न के इश्क के दीवाने में
न तो परवाने में
नशा तो जज्बा जुनून है
जिंदगी जीत जाने में।।
एल एम त्रिपाठी पीताम्बर
2-जिंदगी के तरानो में तेरा अंदाज है शामिल
जिंदगी के तरानो में तेरा अंदाज है शामिल!!
धड़कतै दिल कि धड़कन में तेरा एहसास है शामिल!
जिंदगी के तरानो तेरा एहसास हैं शमिल!!
जिंदगी के हर लम्हों कि राहों में तेरा इजहार है शामिल!
जिंदगी के तरानो में तेरा एहसान है शामिल!!
सुर्ख सुबह कि लाली चमकती गालों पे बाली
माथे पे चांद सी दमकती विंदिया
नजर के नूर का दीदार है शामिल!
जिंदगी के तरानो में तेरा एहसास हैं शामिल!!
घने जुल्फों के सेहरे में छुपा तेरा ए चेहरा
करम किस्मत कि ख्वाहिसो का इंतजार है शामिल!
जिंदगी के तरानो में तेरा एहसास है शामिल!!
तू मकसद कि मल्लिका अरमानों कि बहों में
इरादों कि इबादत का इम्तिहान है शामिल!
जिंदगी के तरानो में तेरा एहसास हैं शामिल!! नन्द लाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
3-जग तेरे चरणाें आया मेरी माँ
जग तेरे शरणाें में आया मेरी माँ!!
तेरे आँखो का दुलार तेरी संतान,
तेरे आँचल का प्यार तेरी संतान
जग आया लेकर अपनी मुराद माँ तेरे द्वार!!
जग तेरे चरणाें आया मेरी माँ
जग तेरे शरणाें में आया मेरी माँ!!
माँ सबकी भर दे झोली,
कोई खाली ना जाये,
कोई सवाली ना जाये खाली,
तू जग जननी, तू जग कल्याणी,
जग तारणी माँ , नव दुर्गा माता रानी!!
जग तेरे चरणाें आया मेरी माँ,
जग तेरे शरणाें में आया मेरी माँ!!
तू भय भव भंजक निर्भय कारी दुष्ट संघारी
छमा, दया, करुणा कि सागर जग तेरी करुणा,
कृपा तरस कि दरश में आया मेरी माँ!!
जग तेरे चरणाें आया मेरी माँ,
जग तेरे शरणाें में आया मेरी माँ!!
तू भक्ति कि शक्ति,
तू मंगलकारी, शुभ संचारी,
अमंगल हारी
जग तेरे दर पे दर्शन को आया मेरी माँ!!
जग तेरे चरणाें आया मेरी माँ,
जग तेरे शरणाें में आया मेरी माँ!!
Nand Lal mani tripathi pitamber
4- यादों के तरानेा में पलके हैं बिछाएँ हमने अरमानों उम्मीदाै के ख्वाब सजाए हमने!!
लाख तूफानों में गिरती संभलती जिंदगी में दुनिया कि खुशियों का चिराग जलाया हमने!!
यादों के तरानेा में पलके हैं बिछाएँ हमने अरमानों उम्मीदाै के ख्वाब सजाए हमने!!
चाहतो कि किश्ती का मांझी दुआआै कि मोहब्बत हद हस्ती का पतवार,।
तकदीर के इम्तिहान तमाम वक्त बेवफाई के हसतै जख्म बेशुमार,।
हसतै जख्मों को जिन्दगी का नूर बनाया हमने!!
यादों के तरानेा में पलके हैं बिछाएँ हमने अरमानों उम्मीदाै के ख्वाब सजाए हमने!!
हर सुबह का सूरज मेरे बज्म का वजूद हर शाम नया नज़्म गुनगुनाया हमने!!
यादों के तरानेा में पलके हैं बिछाएँ हमने अरमानों उम्मीदाै के ख्वाब सजाए हमने!!
चाँद कि चांदनी घने अंधेरों में यादों के कारवाँ संग जिंदगी बिताया हमने!!
यादों के तरानेा में पलके हैं बिछाएँ हमने अरमानों उम्मीदाै के ख्वाब सजाए हमने!!
तूफानों कि तरह जज्बात मोहब्बत में मोहब्बत का पैगाम सुनाया हमने !!
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
5--अहंकार एक आग है सब कुछ कर दे ख़ाक।
पहले मति हारती मतिमंद करती पाप दिखे धर्म जस धर्म दिखे जस पाप।।
सत्य असत्य में फर्क मिटे अहंकार के संग ।
ज्ञान अज्ञान का अंतर हो जाता अंत।
सत्य ,निष्ठां ,नेकी ,धोखा और फरेब अहंकार के शास्त्र शत्र।
अहंकार एक बिष है अंतर मन में जन्म ।।
अहंकार इंसान के गुण ,कर्म ,धर्म ज्ञान, विज्ञान का कर देती सब भष्म।।
आँखों सहित आदमी अँधा विवेक का विवेक हीन ।
नियत ,निति, को हर कर देती निर्मूल ।।
मुर्दा जलता आग में जिन्दा अहंकार कि आग के शोला और शूल।।
अहंकार कि आग में जल वर्तमान हो जाता स्वाहा ।
वर्तमान कि कालिख स्याह भविष्य के अन्धकार कर काला काल।।
अहंकार एक व्याधि है संन्यपात कहलात ।
अपने दुःख का दर्द
नहीं औरन के सुख से घुटत जलत मरी जात।।
दुःख का कारण अहंकार ही बिष वासुकि मागत त्राहि त्राहि ।
अहंकार एक विष है निगलत खुद को जात।।
घृणा ,क्रोध, कि जननी अहंकार द्वेष ,दम्भ दो धार ।
निज को काटत जाय मगर मकच्छ कि खाल सा अहंकार बन जात।।
अहंकार एक शत्रु है खुद को दीमक अस खाय ।
वैद्य धन्वन्तरि और सुखेंन को सूझत नही उपाय।।
निर्मम ,निर्दयी दया भाव भी नाही प्यासे को पानी नहीं मरत जहाँ रेगीस्तान ।।
धर्म कहत अग्नि है चार छुधाग्नि ,कामाग्नि ,जठराग्नि , चिताग्नि पांचवी आग है अहंकार।
चारो पर भारी घातक पता नहीं मानव कब कैसे जल जाय।।
अहंकार का नाश ही शक्ति का सूर्योदय ।
विनम्रता सयम धैर्य का धन्य दरोहर ।।
मानव मानवता का सत्य यही सत्यार्थ ।
दम्भ ,द्वेष ,घृणा का नाश प्रेम, दया ,छमा ,सेवा का युग का होता निर्माण।।
साहस, सौर्य ,त्याग तपश्या और बलिदान के मूल्य मूल्यों कि मानवता का बनता दृढ़ ,सुदृढ़, राष्ट्र समाज।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
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