काव्य रंगोली आज के सम्मानित रचनाकार

श्रीमती आशा त्रिपाठी


पत्नी-श्री शशिकान्त त्रिपाठी


मूल निवासी-ग्राम अकबरपुर,पो० केराकत जिला जौनपुर उ०प्र०


कार्यरत- जिला कार्यक्रम आधिकारी,सहारनपुर।(वर्तमान)


दूरभाष-9412968923


परिचय-1999 की लोक सेवा आयोग से चयनित क्लास द्वितीय अधिकारी।


शिक्षा-एमए अर्थशास्त्र व अंग्रेजी,


       बी०एड०.


कृत्य-आशा के गीत पुस्तक का प्रकाशन।


रेडियो नजीबाबाद मे बक्तत्य ,


समाचार पत्रों मे नियमित सामाजिक लेखन,पत्र पात्रिकाओं मे कविताओ का प्रकाशन।


1999 से पूर्व कविसम्मेलन में भाग।


गोरखपुर रेडियो में लोकगीत गायन भोजपुरी मे (1995-1998 तक)


प्रशासनिक आयोजनो में मंच संचालन,


*कवितायें*


1-शाश्वत प्रेम रुप छवि निर्मल


 सकल जगत सुखदायक श्याम।।


 *राधा के प्रिय तुम्हे कहूँ या* 


 *मीरा के घनश्याम।।* 


मृदुल बॉसुरी की धुन प्यारी।


राधा भूलें सुध वुद्ध सारी।


बरसाने का कण-कण पुलकित


रास रचैया हे गिरधारी।


भक्ति भाव से मीरा नाची।


त्यागा राज भोग सब काम।


 *राधा के प्रिय तुम्हे कहूँ या* 


 *मीरा के घनश्याम।।* 


कुँज बिहारी ,हे वनवारी


नटवर नागर हे गिरधारी।


माखनचोर,बने रण छोड़,


तुमने प्रभु सब बात विसारी।


तुम्हे ही ध्यायू तुम्हे पुकारूँ।


निशिदिन आठों याम।।


 *राधा के प्रिय तुम्हे कहूँ या* 


 *मीरा के घनश्याम।।* 


नाग नथैया जगत खिवैया,


यशुमति प्रिय बलदाउ भैया।


कंस विदारे द्रोपदी को तारे।


मन मोहन तुम जगत रचैया।।


राधा-श्याम मोहक मनभावन,


युगल छवि नयन सुखधाम।


 *राधा के प्रिय तुम्हे कहूँ या* 


 *मीरा के घनश्याम।*


जन मन रंजन प्रभु भय भंजन,


प्रीत रीति रस मंगलकारी।।


मुरलीधर ,हे नटवर नागर,


गोपियन राधा कृष्ण मुरारी।।


राधा रमणा , मन ब्रजधाम।


 *राधा के प्रिय तुम्हे कहूँ या*


*मीरा के घनश्याम*।।


2- 


*मेरे हमदम साथ निभाना*


मै दीपक तू नेह की बाती,


मै खूशबू तू गेह की थाती।


प्रीत जिया की ना विसराना।


*मेरे हमदम साथ निभाना*।।


 


आलम्ब प्रीत हिय मंजुल दर्पण,


शिखर बंध मन आत्म समर्पण।


मै राधा तू मोहन मेरा


शाश्वत तन-मन लौकिक अर्पण।।


मधुर प्रीत रस गंग बहाना।।


*मेरे हमदम साथ निभाना*


 


मधुरिम भाव सुरभित निज यौवन,


कुसुमित मन उपवन नव जीवन।


नवल रुप श्रीगाँर तुम्ही से।


पुलकित हृदय ,पल्लवित घर आँगन।।


गृह उलझन बहुविधि सुलझान।


*मेरे हमदम साथ निभाना*


 


बंधन पूर्ण ,उर्मिल भव आशा।


 मर्यादा वंदित कुल भाषा।


 निखिल गेह की आभा तुमसे,


  पुण्य प्रेम की तुम परिभाषा।।


  कर्म योगी बनके दिरवलाना।


*मेरे हमदम साथ निभाना*


 


मै छाया तुम दर्पण प्रियतम,


विरत रहे जीवन से दुःख तम।


तुझ संग पार भँवर से जाऊँ।


एक पल तुझको ना विसराऊँ।।


सात जनम तक साथ निभाना।


*मेरे हमदम साथ निभाना*


3- 


*तेरी याद मुझको सताती बहुत है*।


ख्वाबों में मेरे खयालों मे तुम हो,


धड़कते दिलो की पनाहों में तुम हो।


तुम्ही मेरे आँखों के नूर प्रियतम।


छवि तेरी प्रीतम रुलाती बहुत है।।


तेरी याद मुझको सताती बहुत है।


वो कागज कलम नेह की रोज पाती,


वो नीदें चुराना,दिल की अमिय थाती।


पलको की गहरी लरज रोज निरखूँ।


हृदय रुह मिलने को पल पल सताती।


अल्हड़ प्रेम पाती लुभाती बहुत है।


तेरी याद मुझको सताती बहुत है।


वो चोरी से मिलना,वो मिल के सताना,


निगाहों-निगाहों मे सब कुछ सुनाना।


मै हूँ बस तुम्हारी यही राग गाना।


 प्रति पल जिया मे तेरा ही तराना।


तेरी प्रीत आतुरता जगाती बहुत है।


तेरी याद मुझको सताती बहुत है।


तुम्ही प्रीत-संगीत जीवन सुधा हो,


तुम्ही भाव-धड़कन कवित की विधा हो।


तुम्ही मीत मोहन हरित नद्य मन में।


तुम्ही प्राण मेरे तुम सबसे जुदा हो।।


तुम्हारी अदा मुझको भाती बहुत है।


तेरी याद मुझको सताती बहुत है।


ये सावन सुहाना ये मधुरिम फिजांये।


रिमझिम सी बारिश ये शीतल हवाँए।


अमवा की डारी पे बोले कोयलियाँ,


चातक है चपल पपिहा मुस्कुराये।


ये सावन अगन भी लगाती बहुत है।


तेरी याद मुझको सताती बहुत है


 


4- भारत माँ मुसकाई है।


रीत गीत नवगीत की धरती,


राम-कृष्ण मधुप्रीत की धरती।


अखण्ड देश आर्याव्रत की,


  वीरों ने अलख जगाई है।


भारत मॉ मुसकाई है।।


 


सुमधुर-सुरभित कश्मीर की घाटी।


गुलमोहर केशर की माटी।


 संस्कृति सुभग सुगंधित परिपाटी,


  दुर्योधन की कुटिल चाल से,


  स्वर्ग ने मुक्ति पाई है।


भारत माँ मुसकाई है।


 


  आजाद ,भगत सिंह की कुर्बानी,


  विवेकानन्द की अमृत वानी।।


  अमर शहीद झाँसी की रानी।


  अमर वीर गौरव गाथा की।


  मोदी ने शान बढ़ाई है।


भारत माँ मुसकाई है।


 


  भारत भाल मुकुट अभिनन्दन,


  कश्मीर खण्ड वसुधा का चन्दन।


  हृदय कोर से शत शत वन्दन।


  नवल सुधारस से सिंचित हो,


  नवल चेतना आई है।


भारत माँ मुसकाई है।


 


  5 अगस्त की अमर क्रान्ति,


  दो सिंहों ने इतिहास लिखा।


  एकता देश की खण्डित की


  उस धारा का ही नाश लिखा।


  यह धरती आज निहाल हुयी,


   केसर ने ली अँगड़ाई है,


भारत माँ मुसकाई है।


अद्भुत अलौकिक आल्हादित जन,


चहुँ ओर खुशी से पुलकित मन।


उत्साह चरम पर विजय प्रखर।


गौरव गरिमा से गर्वित तन।


डल का उपवन फ़िर महक उठा ।


घाटी फिर से हर्षायी है।


भारत माँ मुसकाई है


5-


भारत का अभिमान है हिन्दी।


 


सरस ,सहज,नवरस अभिलाषा,


जन-मन- गण की सुरभित भाषा।


शुभग कलश पूरित नव आशा।।


ओज परम् शुभ गान है हिन्दी।


सहज कण्ठ मृदु बान है हिन्दी।


भारत का अभिमान है हिन्दी।


शुभग ,मुदित,मकरन्द यही है,


भाव,भक्ति,कवि छन्द यही है।


भारत भू की विस्तृत भाषा।


संपूर्ण धरा की गंध यही है।।


संस्कृति देश प्रतिमान है हिन्दी।।


भारत का अभिमान है हिन्दी।


प्रेमचन्द्र की अद्भुत रचना,


अभिव्यक्ति की सरल संरचना।


गरल काव्य नव छ्न्द विपुल हो,


हिन्द प्राण प्रण शब्द अतुल हो।


प्रेम प्रीति रसगान है हिन्दी।


भारत का अभिमान है हिन्दी।


मीरा के भावों की गागर,


महादेवी का अविरल सागर।


रामकथा शोभित तुलसी की।


नानक ,कबीर,रसखान है हिन्दी।


भारत का अभिमान है हिन्दी।


हृदय कुंज ,भव पुंज सहजता,


अस्तित्व हिन्द, तम तेज सरसता।।


अमिय प्रीति से पूर्ण विधा यह,


मातृभूमि की प्राण सुधा यह।


आन बान और शान है हिन्दी।


भारत का अभिमान है हिन्दी।


हिन्द देश की प्राण प्रिया यह,


वन्दनीय जन-मान जिया यह।।


काव्य ,ग्रन्थ,पुराण आत्म भव,


गीत ,रीत ,संगीत छन्द नव।


शारदा सृत वरदान है हिन्दी।


भारत का अभिमान है हिन्दी।


विश्व पद्म पद पावन हिन्दी,


सरस,सहज मनभावन हिन्दी।


शाश्वत मृदुल लुभावन हिन्दी।।


जन मन रंजन गायन हिन्दी।।


"आशा" की पहचान है हिन्दी।


भारत का अभिमान है हिन्दी


✍आशा त्रिपाठी


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