नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

जाड़े में ठिठुरता, तपिस तपन झुलसन बरसात कि मार ।   


 


आंधी हो या तूफ़ान लोक तंत्र का चौथा स्तम्भ प्राण ।।


                                               जन ,जन तक पहुँचता पल, प्रहर कि सूचना खबर का ब्रह्माण्ड ।                         


 


 जज्बा जवान राष्ट्र के स्वाभिमान कि पहचान ।।                      


 


इरादे बुलंद चाहे देश कि सीमा हो या खतरों का बवाल ,जंजाल ।।   


 


हर जगह प्रथम उपस्थिति ,स्तिति परिस्तिति कि बाज दृष्टि का जाबांज़।                           


 


भाषा कि मर्यादा हिंदी हिंदुस्तान का सत्कार ।।                      


 


चली जाए चाहे जान बिकने नहीं देता ईमान।


                  


खतरों में भी सयंम संकल्प कि परिभाषा सम्मान ।।


 


साहस शौर्य ,हिम्मत कवच दृढता का अडिग चट्टान।             


 


झुकता नहीं ,टूटता नहीं ,नहीं करता विश्राम ।।                   


 


सच का साथी अन्याय,अत्यचार का प्रतिकार ।     


 


 मजबूर ,मज़लूमो ,का दुःख ,दर्द बांटता हिंदी का संस्कृति संस्कार।।      


                       


 ओजस्वी तेजस्वी हिंदुस्तान का पत्रकार।।                           


 


हिंदी पत्रकारिता दिवस पर ढेर सारी बढ़ाई एवम् शुभ कामनाएं


 


           


 


नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर


 


 


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