राम कुमार झा "निकुंज"

कवि ✍️परिचयः डॉ. राम कुमार झा " निकुंज "


राष्ट्रवादी कवि डॉ. राम कुमार झा ,पिता- विद्यावारिधि वैयाकरण कवि स्व. पं शिव शंकर झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास, अंकुर विहार लोनी(एन. सी. आर. दिल्ली),गाजियाबाद, (उ. प्र )में है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला,नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, कुरुक्षेत्र वि. वि.), एम. ए. ( संस्कृत,इतिहास,पटना वि. वि.) बी.एड.,एल.एल.बी. (पटना वि. वि.),पीएच-डी. (दि.वि. वि.)और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र -वरिष्ठ अध्यापक ,केन्द्रीय विद्यालय, पुष्पविहार,साकेत, नई दिल्ली (मा.सं.वि.मं.,भारत सरकार) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में २५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर माँ भारती सह हिन्दी भाषा साहित्य के महिमामंडन में अपनी चारुतम अनमोल लेखिनी के माध्यम से विगत चालीस वर्षों से सक्रिय हैं। सारस्वत काव्यमय परिवार प्रसूत डॉ. झा की लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में चार काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली, कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में "महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च" (समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं "सूक्ति-नवनीतम्" "काव्य-मंजरी" और मैथिली भाषा में "आउ बचाउ मिथिला के" भी आने वाली है। वर्तमान अंकूर, काव्यस्पदन, हरियाणा प्रदीप, साझा गीतिका संकलन, ,श्री सुदर्शनिका साहित्यिक मंच, हौंसलों की उड़ान, प्रभा श्री, म ग स म रविवार , साहित्य रचना गुजरात , काव्य कलश, साहित्य किरण मंच, प्रभा श्री मंच, दिल्ली कवि सम्मेलन , काव्यगंगा, साहित्य गंगा , साहित्य सुगम संस्थान, साहित्य सागर, काव्यांचल, भावांजलि ,हिन्दी भाषा.कॉम , निःशब्द, भावांजलि, काव्यांजलि, भावसरिता , बज़्म -ए -हिन्द , हंस, आराध्या, परख, साहित्यांकुर, नवांकुर, दोहा समीक्षा मंच, साहित्योदय, रचनाकार मंच दिल्ली, काव्य रंगोली पचास से अधिक काव्य संकलनों , बिहार नवभारत टाइम्स,अन्तर्राष्ट्रीय शोध पत्रिका सूर्यप्रभा जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं और अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य , संरक्षक,मानद कवि साहित्य गौरव, देवल पुरस्कारों से पुरष्कृत और ख्यातिलब्ध संस्था "अन्तर्नाद" का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण सह कवि विद्यावारिधि स्व.पं. शिवशंकर झा और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। आपने पटना, जम्मू , गंगटोक सह कोलकाता आकाशवाणी केन्द्रों में प्रखर वार्ताकार ,कवि सह एकांकीकार के रूप में अपनी सक्रिय भागीदारी सह सम्मानित युवा लेखक, राष्ट्रवादी क्रान्तिकारी साहित्यकार के रूप में सुकीर्ति अर्जित की है। डॉ. झा ने भंगिमा, अरिपण, साहित्य कला मंच, अंतरंग , विशाल जननाट्य मंच (मैथिली ,हिन्दी,और भोजपुरी भाषा से सम्बद्ध )अनेकों रंगमंच को अपने अभिनय से गौरवान्वित किया है। डॉ. झा एक प्रखर वक्ता, राष्ट्रवादी यथार्थ सह प्रगतिपरक कवि, लेखक कथाकार, एकांकीकार सह समालोचक रहे हैं। हिन्दी, संस्कृत,अंग्रेजी,बंगला, असमिया, नेपाली , मैथिली, भोजपुरी आदि भाषाओं के अबाध वाक्पटुता कवि डॉ.निकुंज के बहु आयामी व्यक्तित्व में चार चाँद लगाता है। मिथिलावासी श्रोत्रिय मैथिल द्विजश्रेष्ठ डॉ. झा पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता भी रह चुके हैं। छात्र जीवन से ही पठन-पाठन-वाचन में परम मेधावी स्वावलंबी संघर्षशील डॉ. झा एन.सी.सी, एन.एस.एस और भारत स्काउट्स एवं गाइड्स एवं अनेक सामाजिक , सांस्कृतिक कार्यों में पूर्ण सक्रिय रहे हैं। डॉ. झा वर्तमान में लीडर ट्रेनर (स्काउट संभाग) भी हैं। जीविका वृत्ति के क्रम में विगत २८ वर्षों से डॉ. झा ने सम्पूर्ण भारत वर्ष में अपने शिक्षण द्वारा राष्ट्र निर्माण में अहं भूमिका का निर्वहण किया है। महाभारत की अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति और कूटनीति पर संस्कृत भाषा में दिल्ली वि.वि.से पी. एच. डी. करने वाले डॉ. झा इतिहास के प्रखर छात्र रहे हैं। धार्मिक व्यक्तित्व के धनी डॉ. झा भावात्मक संवेदनशील, सरस, सरल, मृदुभाषी, उदारचेता सिद्धान्तवादी स्वाभिमानी गुणों के सम्पूट संगम हैं। दो मेधावी अभियंता पुत्रात्मजा के जनक डॉ. झा की धर्मपत्नी डॉ. निशि कु. झा भी एक मेधावी विज्ञान छात्रा, सुधर्मिणी सह प्राध्यापिका के रूप में दायित्व निर्वहण कर रही हैं। डॉ.झा सदृश बहुगुणोपेत सारस्वत भारती पूत का परिचय देना किसी भी साहित्यकार, पत्रकार या संपादक वा संस्थाओं के लिए गौरव और सम्मान की बात है।


कवि डॉ. निकुंज की साहित्यिक प्रकाशित काव्य संग्रह और 


साझा काव्य संग्रह का विवरण लघु रूप में नीचे दिया जा


 रहा हैः --- 


 


१. युगान्तर- काव्यसंग्रह , काव्या प्रकाशन , इन्दौर 


२. उद्बोधन - काव्यसंग्रह , वर्तमान अंकुर प्रकाशन , नयी दिल्ली


३. शंखनाद- काव्यसंग्रह , नीलिमा प्रकाशन , दरियागंज , नयी दिल्ली 


 ४. नवांकुर - साझा काव्य संग्रह , वर्तमान अंकुर प्रकाशन , नयी दिल्ली


  ५. भाव सरिता , साझा काव्य संग्रह, भोपाल


 ६. भाव से कविता तक - साझा काव्यसंग्रह, पंख प्रकाशन ,मेरठ


 ७. मेरी कलम - सत्यम प्रकाशन , दिल्ली


 ८. नूर ए ग़ज़ल - साझा काव्यसंग्रह ,वर्तमान अंकुर प्रकाशन , नयी दिल्ली


  ९. कारगिल के शहीद - साझा काव्य संग्रह, चित्रगुप्त प्रकाशन,नयी दिल्ली


  १०. मातृ-पितृ विशेष काव्यसंग्रह, चित्रगुप्त प्रकाशन ,नयी दिल्ली


  ११. अश्क प्रीत के - साझा काव्य संग्रह , निखिल प्रकाशन , आगरा


१२. प्रीत मीत से- साझा काव्य संग्रह, निखिल प्रकाशन,आगरा


१३. अश्क मीत से - साझा काव्य संग्रह , निखिल प्रकाशन, आगरा


 


12. सम्मान(यदि हो तो अधिकतम 5)


     १. काव्य गौरव सम्मान , वर्तमान अंकुर ,नोयडा 


     २. साहित्य प्रज्ञ सम्मान , युगधारा प्रकाशन,लखनऊ


     ३. साहित्य देवल सम्मान , वर्तमान अंकुर, नोयडा


     ४. साहित्य काव्य गौरव सम्मान , हरियाणा प्रदीप, गुड़गांव 


     ५. शाश्वत शृङ्गारिक सम्मान - निखिल प्रकाशन ,आगरा 


     6. अनुभव साहित्य सम्मान - अश्क प्रीत से ,मेरठ 


     7. साहित्य गौरव सम्मान - पंख प्रकाशन, मेरठ


     8. काव्य सागर सम्मान,श्री सत्यम प्रकाशन,झुंझूनी     


      (हरियाणा)


प्रकाशनार्थ प्रेसगत ग्रन्थः 


 


१. कराहती सम्वेदनाएँ (काव्य संग्रह)


२. पुकारे माँ भारती (काव्य संग्रह) 


३. गीत प्रीति के मधु मिलन 


 


संस्कृत मेंः 


 


१. महाभारते अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धः कूटनीतिश्च (आलोचनात्मक शोध ग्रन्थ।


 २. सुक्ति नवनीतम्  


 


 राष्ट्र भारत और हिन्दी भाषा प्रेम और भक्ति से ओत प्रोत कवि लेखक साहित्यकार डॉ. का सम्पूर्ण व्यक्तित्व देश और हिन्दी भाषा के प्रति उनके अधोलिखित विचार(दोहा) से प्रकटित हो रहा है --- 


स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।


जिसने दी है जिंदगी , बढ़ा शान दूँ जान॥


ऋण चुका मैं धन्य बनूँ ,जो दी भाषा ज्ञान।


हिन्दी मेरी रूह है , जो भारत पहचान॥


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