9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '
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श्रीपद छंद
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परिचय --- द्वादशाक्षरावृत्ति ( जगती )
गण संयोजन ----
न त ज य
यति ---- 4 , 8
विशेष ---- प्रति दो चरण समतुकांत ।
111 2 , 21 121 122
जग सखा , आज सुनो विनती भी ।
कर सको , तो कर लो गिनती भी ।।
दर खड़े , लो अब आकर सारे ।
चख सकें , आज सुधा रस धारे ।।
सफ़र में , साथ सदा हम पायें ।
मन कहे , गीत सुनो हम गायें ।।
दुख करो , दूर कहें अब सारे ।
मिल सकें , आज सभी सुख न्यारे ।।
सुमन - सा , कोमल भाव जगायें ।
जगत में , प्यार सभी हम पायें ।।
सुन सुना , दें हम आज कहानी ।
सुख मिले , देख न दीप निशानी ।।
चमकते , देख न दीप हमारे ।
जल रहे , दीप सभी उजियारे ।।
जगमगा , रात रही मतवाली ।
चमकती , रात रहे अब काली ।।
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(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
30.5.2020 , 7:49 पीएम पर रचित ।
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