कविता
नजर के तीर से घायल उठा कोई नहीं करता ,
मिला हो प्रेम में धोखा कहा कोई नहीं करता।
सताते वो रहे हमको सदा कातिल अदाओं से ,
गये वो लूट के हमको पता कोई नहीं करता।
अगर आशिक बने होते तो दुनिया रांझा कह देती ,
करें क्या प्रेम से हम पर दया कोई नहीं करता।
पता क्या प्रेम होता है उसे ये भी बताना है ,
कभी भी पुष्प बिन पानी खिला कोई नहीं करता।
गले तुमको लगाया है खुदा का शुक्रिया कर दो ,
हमारा प्रेम यूं हासिल किया कोई नहीं करता।
संदीप कुमार बिश्नोई
दुतारांवाली अबोहर पंजाब
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