सत्यप्रकाश पाण्डेय

मालिक तेरे हाथ में है जिंदगी की गाड़ी।


दुःख से रखो या सुख से मैं तो हूँ अनाड़ी।।


 


कामी बन घूम रहा हूं मैं तो जग में स्वामी।


मोह जाल में बंधकर भूला अंतर्यामी।।


 


दुर्गम पथ है जीवन के रहूँ न नाथ पिछाड़ी।


दुःख से रखो या सुख से मैं तो हूं अनाड़ी।।


 


सदा मंजिल की ओर बढूं हिय में तेरा नाम।


हार जीत की परवाह नहीं यदि मिलें सुखधाम।।


 


राधा कृष्ण के स्मरण की मिलती रहे दिहाड़ी।


दुःख से रखो या सुख से मैं तो हूं अनाड़ी।।


 


सत्य जीवन के हिय मर्म तुम्हीं हो नारायण।


हर सांस समर्पित कर मैं करूं नाथ परायण।।


 


मनमोहन की मूरत रहे सदा नयन अगाड़ी।


दुःख से रखो या सुख से मैं तो हूं अनाड़ी।।


 


श्रीकृष्णाय नमो नमः💐💐💐💐💐👏👏👏👏👏


 


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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