सत्यप्रकाश पाण्डेय

तुम ही जीवन रवि........


 


ये नक्शेकदम मुझको रिझाते है।


आकर्षक चितवन मुझे बुलाते है।।


 


हैं लोल कपोल लिए गात सौम्यता।


अनुपम सौंदर्य अपरिमेय दिव्यता।।


 


कजरारी आँखों का मोहक काजल।


केश पुंज लगें जैसे घने बादल।।


 


तुमसे बतरस का आनन्द अनौखा।


गोरे वदन प्रिया शोभित तिल चोखा।।


 


आहें भरें देखकर दिलवर तुमको।


बलात खींच रही हो सत्य हृदय को।।


 


मधुमास की मधुर मकरन्द प्रियतमा।


तुम मेरे बदन में हो बसी आत्मा।।


 


डाल गले में बाहों का बंधन सजनी।


तुम ही जीवन रवि वरना तो रजनी।।


 


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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