सुनीता असीम

प्यार का अब नहीं असर बाकी। 


 


एक ही रह गया पहर बाकी।


 


***


 


तुम न देखो मेरी तरफ ऐसे।


 


लग रहा है रही। शरर् बाकी।


 


***


 


आज अरमान हो गए पूरे।


 


कुछ नहीं रह गई कसर बाकी।


 


***


 


इस मुहब्बत के आम चर्चे हैं।


 


कुछ नई है नहीं ख़बर बाक़ी।


 


***


 


आग दोनों तरफ लगी ऐसी।


 


कुछ इधर और कुछ उधर बाक़ी।


 


***


 


सुनीता असीम


 


२७/५/२०२०


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