प्यार का अब नहीं असर बाकी।
एक ही रह गया पहर बाकी।
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तुम न देखो मेरी तरफ ऐसे।
लग रहा है रही। शरर् बाकी।
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आज अरमान हो गए पूरे।
कुछ नहीं रह गई कसर बाकी।
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इस मुहब्बत के आम चर्चे हैं।
कुछ नई है नहीं ख़बर बाक़ी।
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आग दोनों तरफ लगी ऐसी।
कुछ इधर और कुछ उधर बाक़ी।
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सुनीता असीम
२७/५/२०२०
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