सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता"

Poem -  आसान नहीं है.... 


आंगल^ होना आसान नहीं है. (फिरंगी,अंग्रेज़)
पागल   होना आसान नहीं है. 


हो सावन बिन अखियाँ सूनी, 
बादल होना आसान नहीं है. 


सूखे पत्तों पर ग़ाज़^ गिरी हो, (बिजली गिरना )
दावानल^होना आसान नहीं है. (जंगल की आग )


आँखें उसकी कितनी गहरी है, 
काजल होना आसान नहीं है. 


पोंछता कैसे विरहन के आँसू, 
आँचल होना आसान नहीं है. 


लोहे के कारोबार में "उड़ता "
साँकल बनना पड़ता है, 
कांचल^ होना आसान नहीं है. (सुनहरा,सोना)



स्वरचित मौलिक रचना. 



द्वारा -सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता"
झज्जर (हरियाणा )


संपर्क +91-9466865227


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