बिजया लक्ष्मी

*पर्यावरण*


आओ बच्चों पेंड़ लगाओं


मिलजुल कर के साथ मे,


स्वच्छ -भारत , सुंदर भारत


रहे स्वच्छ परिवार मे!


 


वायु प्रदुषण बढ़ता है,


पेड़ों के आभाव मे,


शुद्ध - शुद्ध हवाएँ आती,


पेड़ों के बागान से,


जल -प्रदुषण होता है ,


गंदगी के वास्ते ,


स्वच्छ -भारत , सुन्दर - भारत ,


रहे स्वच्छ परिवार मे!


 


इस धरती की सुंदर छाया,


पेड़ों से ही बनी हुई,


मधुर-मधुर. ये मंद हवाएँ,


अमृत बनके चली हुई ,


आओ बच्चें इस उपवन मे,


पेड़ों का एक बाग लगाएँ,


स्वच्छ -,भारत सुदंर भारत


रहे स्वच्छ. परिवार. में!


 


पेड़ों से मिलता है हमको,


फल -फूल और औषधी,


मत खेलों खिलवाड़ हमेशा,


प्रकृति के बागान से,


हरा भरा हरियाली है,


देश की निशानि है ,


स्वच्छ भारत सुंदर भारत 


रहे स्वच्छ परिवार मे!


      बिजया लक्ष्मी


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...