Dr.B.K.Sharma

मदिरा स्वयं का परिवार का समाज का और देश का नाश कर देती है


 इसी संदर्भ में मेरी पुस्तक 


"यह कैसी हाला है "


कि प्रथम 10 कड़ियां समाज और देश को समर्पित है


 


# यह कैसी हाला है #


***************


1-


एक कमिसन साकी बाला ने


ना जाने कितने घर को लूट लिया हाथों से उसके प्याला ले 


जब पीने वालों ने एक घूंट लिया ||


 


2-


कभी ना देखा मदिरालय


 कभी ना देखी थी हाला |


किस और मुझे तू ले आई


 ना था मैं कभी पीने वाला ||


 


3-


स्वरा पान की इच्छा लेकर 


देखो कितने दीवाने आए |


बैठ गए मदिरालय आकर


 लुट जाने परवाने आए ||


 


4-


पहले जो "करने" में जीता था 


अब पी पी कर उर रीता है |


पहले घर में रहने वाला 


अब दुनिया बाहर की जीता है ||


 


5-


राजा थे जो लोग कभी


रंक उन्हें है कर डाला |


मधु विक्रेता को इस हाला ने


तिल से पहाड़ बना डाला ||


 


6-


जिनके स्वर सिंघनाद था


जो बाहुबली बन फिरते थे |


आज हाला का एक प्याला ले 


कभी गिरते कभी उठते थे ||


 


7-


बड़ी विडंबना इस जगती की 


जो मधुबाला के अधीन हुए |


 जो भूल गए वसुदेव कुटुंबकम 


 और जा हाला में लीन हुए ||


8-


मधु विक्रेता के ठाठ निराले आते-जाते पीने वाले |


मधुशाला की शान बढ़ाते 


घर की इज्जत मान घटाते ||


 


9-


 समय एक था जब कंठ से


 हूंकार सिंह की आती थी |ललकार एक ही जो शत्रु का 


सीना चीर सुलाती थी ||


 


10-


जिनके ह्रदय दया भाव था


 जिनके मन में थी करुणा |


आज अकेला चौराहे पर 


देता फिरता वह धरना ||


 


 Dr.B.K.Sharma


Uchchain (Bharatpur) Raj.


9828863402


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