मदिरा स्वयं का परिवार का समाज का और देश का नाश कर देती है
इसी संदर्भ में मेरी पुस्तक
"यह कैसी हाला है "
कि प्रथम 10 कड़ियां समाज और देश को समर्पित है
# यह कैसी हाला है #
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1-
एक कमिसन साकी बाला ने
ना जाने कितने घर को लूट लिया हाथों से उसके प्याला ले
जब पीने वालों ने एक घूंट लिया ||
2-
कभी ना देखा मदिरालय
कभी ना देखी थी हाला |
किस और मुझे तू ले आई
ना था मैं कभी पीने वाला ||
3-
स्वरा पान की इच्छा लेकर
देखो कितने दीवाने आए |
बैठ गए मदिरालय आकर
लुट जाने परवाने आए ||
4-
पहले जो "करने" में जीता था
अब पी पी कर उर रीता है |
पहले घर में रहने वाला
अब दुनिया बाहर की जीता है ||
5-
राजा थे जो लोग कभी
रंक उन्हें है कर डाला |
मधु विक्रेता को इस हाला ने
तिल से पहाड़ बना डाला ||
6-
जिनके स्वर सिंघनाद था
जो बाहुबली बन फिरते थे |
आज हाला का एक प्याला ले
कभी गिरते कभी उठते थे ||
7-
बड़ी विडंबना इस जगती की
जो मधुबाला के अधीन हुए |
जो भूल गए वसुदेव कुटुंबकम
और जा हाला में लीन हुए ||
8-
मधु विक्रेता के ठाठ निराले आते-जाते पीने वाले |
मधुशाला की शान बढ़ाते
घर की इज्जत मान घटाते ||
9-
समय एक था जब कंठ से
हूंकार सिंह की आती थी |ललकार एक ही जो शत्रु का
सीना चीर सुलाती थी ||
10-
जिनके ह्रदय दया भाव था
जिनके मन में थी करुणा |
आज अकेला चौराहे पर
देता फिरता वह धरना ||
Dr.B.K.Sharma
Uchchain (Bharatpur) Raj.
9828863402
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