आशा त्रिपाठी

पिता की छत्रछाया में सभी गम भूल जाते है।


पिता के धैर्य की आभा हमेशा याद आते है।


पिता आकाश पूरा है, हृदय आधार है घर का।


पिता के स्नेह मे बच्चें सदा ही मुस्कुराते है।


✍आशा त्रिपाठी


Father's day पर मुक्तक


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...