*बेवजह की बातों में, वक्त क्यू गवॉते हो।*
हर एक श्वांस जीवन की, घट रही पल छिन,
कर्मयोगी की तरह जी ले, तू सहारे बिन।।
जिन्दगी स्वप्न है इसे तू आजमाओ ना,
है अटल सत्य यही, क्यू इसे भुलाते हो।।
*बेवजह की बातों में वक्त क्यू गँवाते हो।।*
मिल गया लक्ष्य तो ये कद बड़ा हो जायेगा।।
सत्य को साध कर तू ,आगे ही बढ़ जायेगा।
वक्त के साथ जरा चल के देख ले राही,
वक्त की ऐंठ मे निर्बल को, क्यू सताते हो।
*बेवजह की बातों में वक्त क्यू गँवाते हो।।*
जिन्दगी जंग है इस जंग सें लड़ना होगा।।
समय की रेत पर इतिहास को लिखना होगा।
पत्थरों से मधुर शीतल लहर भी आयेगी।
टूटना होगा भी और गिर के बिखरना होगा।।
दग्ध मन को ही सदा मीत क्यू बनाते हो।।
*बेवजह की बातों में वक्त क्यू गँवाते हो।।*
जिन्दगी आश है,विश्वास है, मधुमास भी है।
अपने सपनों के आसमान का एहसास भी है।
शक्ति-सामर्थ्य के सागर मे उतर-कर देखो,
समय की नाव के संग,लक्ष्य की ये प्यास भी है।
भाग्य के हाथ में किश्ती को क्यू थमाते हो।
*बेवजह की बातों में वक्त क्यू गँवाते हो।।*
वक्त है ईमान-धरम वक्त तो गुजरता है।
समय के आगे कहॉ कोई भी ठहरता है।
समय की कोख में जीवन के रत्न सारे है।
कर्मयोगी को ही ये अक्षयपात्र मिलता है।।
व्यर्थ की साधना में मन को क्यू रमाते हो।
*बेवजह की बातों में वक्त क्यू गँवाते हो।।*
✍🏻आशा त्रिपाठी
14-06-2020
रविवार
{सर्वाधिकार सुरक्षित}
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