अनिल गर्ग  कानपुर

*गधा और हम*


गधा पेड़ से बंधा था।


शैतान आया और उसे खोल गया।


गधा मस्त होकर खेतों की ओर भाग निकला और खड़ी फसल को खराब करने लगा।


किसान की पत्नी ने यह देखा तो गुस्से में गधे को मार डाला। 


गधे की लाश देखकर मालिक को बहुत गुस्सा आया और उसने किसान की पत्नी को गोली मार दी। 


किसान पत्नी की मौत से इतना गुस्से में आ गया कि उसने गधे के मालिक को गोली मार दी।


गधे के मालिक की पत्नी ने जब पति की मौत की खबर सुनी तो गुस्से में बेटों को किसान का घर जलाने का आदेश दिया।


बेटे शाम में गए और मां का आदेश खुशी-खुशी पूरी कर आए। उन्होंने मान लिया कि किसान भी घर के साथ जल गया होगा।


लेकिन ऐसा नहीं हुआ। किसान वापस आया और उसने गधे के मालिक की पत्नी और बेटों, तीनों की हत्या कर दी।


इसके बाद उसे पछतावा हुआ और उसने शैतान से पूछा कि यह सब नहीं होना चाहिए था। ऐसा क्यों हुआ?


शैतान ने कहा, 'मैंने कुछ नहीं किया। मैंने सिर्फ गधा खोला लेकिन तुम सबने रिऐक्ट किया, ओवर रिऐक्ट किया और अपने अंदर के शैतान को बाहर आने दिया। इसलिए अगली बार किसी का जवाब देने, प्रतिक्रिया देने, किसी से बदला लेने से पहले एक लम्हे के लिए रुकना और सोचना जरूर।'


 


ध्यान रखें। कई बार शैतान हमारे बीच सिर्फ गधा छोड़ता है और बाकी काम हम खुद कर देते हैं !


अनिल गर्ग 


कानपुर


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