अंकिता जैन अवनी

"परवाह कौन करता है"


छोटी-छोटी बच्चीयाॅ,


घरों में बर्तन मांजती है।


छोटे-छोटे बच्चे,


दुकानों पर काम करते हैं,


हर रोज एक नन्हा फरिश्ता,


सड़क पर कचरा बीनता है,


पर अफसोस इनकी परवाह कौन करता है।


देश का भविष्य,


नित्य बोझा ढ़ोता है,


जुआरी, सटोरियों की संगत में,


एक मासूम बिगड़ता है।


गंदे माहौल में रहने से,


इन बच्चों का स्वास्थ्य निरंतर गिरता है,


पर अफसोस इनकी परवाह कौन करता है।


फूल जैसे बच्चे खाना कम,


गालियॉ ज्यादा खाते हैं,


कुछ ऐसे लोग भी हैं,


जो इनका फायदा भी उठाते हैं,


रोज इनका शोषण होता है,


हर रोज एक नया दर्द इन्हें मिलता है,


पर अफसोस इनकी परवाह कौन करता है।


 


अंकिता जैन अवनी


लेखिका/कवयित्री


अशोकनगर मप्र


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