निःशब्द हूँ इस मानवी नीचता पर।।
साक्षर होने से पहले मानव बनें🙏
जानवर थी,सच है!पर वो रूप थी भगवान का,
पेट भरने को विकल गर्भस्थ शिशु मेहमान का!
क्यूँ किया ये घात उस ममतामयी प्रतिमान पर,
अब नहीं विश्वास है इस दानवी इन्सान का!!😢😢
अर्चना द्विवेदी
अयोध्या
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