अविनाश सिंह

*कृष्ण नगरी मथुरा पर हाइकु*


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*इस हाइकु के माध्यम से आप सम्पूर्ण मथुरा के दर्शन कर लेंगे*


 


कृष्ण की बंसी


गोपियां मंत्रमुग्ध


नाचे ठुमुक।


 


राधे के कृष्ण


बजाते है बाँसुरी


मथुरा खुश।


 


यशोदा लल्ला


करे माखन चोरी


नंद के गाँव।


 


गोकुल धाम


कृष्ण का बाल्यकाल


रमण रेती।


 


गोपियां रूठी


बंसी के तान सुन


करे विलाप।


 


प्रेम का स्थल


वृंदावन नगर


मन विभोर।


 


कृष्ण के मित्र


सुदामा भद्र भोज


रहे अभिन्न।


 


ब्रज की होली


गुलाल और फूल


मन प्रफुल्ल।


 


मिश्री के भोग


बरसाने की राधा


दिल को भाता।


 


गिरिराज जी


करते परिक्रमा


मिले महिमा।


 


नंद के लाल


बसे मथुरा धाम


रास रचाये।


 


स्वर्ग नगरी


मथुरा वृंदावन


करो दर्शन।


 


जो नही देखा


बरसाना की होली


खाली है झोली।


 


असली होली


है लट्ठमार होली


मन को भाये।


 


जो ब्रज आये


खाली हाथ न जाए


प्रेम ले जाए।


 


फूलों की होली


लड्डू गोपाल संग


मन प्रसन्न।


 


*अविनाश सिंह*


*लेखक*


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