डॉ बीके शर्मा

:: *साथी ना मचल* ::


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जिंदगी तो एक खिलौना


साथ ही ना मचल |


मुक्त मन का बोध ले 


साथ मेरे चल ||


 


रोकना कदम तू


आज अग्नीपथ पर |


कदमों में रफ्तार ले


खुद को दे वल ||


 


लक्ष्य तेरी मंजिल है 


तू तो जलजला है |


आंखों में नभ सारा 


पैरों में है थल ||


 


जो तेरे उर में 


ज्वाला सी प्रचंड है |


हौसले बुलंद तेरे


तू पहाड़ों सा आंचल ||


 


झकझोरता तूफान क्यों 


आज यहां तुझको |


मृत्यु ही वीरता है 


कर दे हलचल ||


 


हाथों मे बज्र ले 


आज तू फिर से |


ना सोच ना विचार 


ना हाथ मल ||


 


तू मनचला है 


और दिल जला है |


जिंदगी एक पहेली 


ना कोई हल ||


 


हाथों में पताका तेरे


पीछे एक दल |


जिंदगी तो एक खिलौना


 साथी ना मचल ||


 


 *डॉ बीके शर्मा* 


उच्चैन ( भरतपुर) राजस्थान


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