*एक चेहरा है*
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एक चेहरा है जिसको देख मैं
खुद को भूल जाता हूं |
रोज लिखता हूं गजल
फिर दोस्तों को सुनाता हूं || -1
देख ली है सारी दुनिया
मैंने उसकी आंखों में |
कहां छुपाया उसने मुझको
यह समझ नहीं मैं पाता हूं ||
एक चेहरा है जिसको देख मैं
खुद को भूल जाता हूं -2
वह मुझे अनजान सी
जब कहीं शहर में मिल जाती है |
वह पास से गुजर जाती है
मैं रोक ना उसको पाता हूं ||
एक चेहरा है जिसको देख मैं
खुद को भूल जाता हूं -3
इस कदर लोगों की नजर
आ कर मुझ पर रुक जाती है |
लोगों का यह सीधा इशारा
देख सहम मैं जाता हूं ||
एक चेहरा है जिसको देख मैं
खुद को भूल जाता हूं -4
झलक उसकी तस्वीर बन
आंखों में मेरे बस गई |
आज तक था मैं अकेला
अब साथ उसको पाता हूं ||
एक चेहरा है जिसको देख मैं
खुद को भूल जाता हूं -5
इस तरह एक चांद को
देखने की आदत बन गई |
जाग उठा प्रेम दिल में
और खुद को मैं सताता हूं ||
एक चेहरा है जिसको देख मैं
खुद को भूल जाता हूं -6
मिले ना दोस्त अगर तो
यह ग़ज़ल खुद ही गुनगुनाता हूं |
एक चेहरा है जिसको देख मैं
खुद को भूल जाता हूं ||- 7
*डॉ बीके शर्मा*
उच्चैन, भरतपुर ,राजस्थान
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