*डॉ बीके शर्मा*  उच्चैन, भरतपुर ,राजस्थान

*एक चेहरा है* 


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एक चेहरा है जिसको देख मैं 


खुद को भूल जाता हूं |


रोज लिखता हूं गजल 


फिर दोस्तों को सुनाता हूं || -1


 


देख ली है सारी दुनिया 


मैंने उसकी आंखों में |


कहां छुपाया उसने मुझको


यह समझ नहीं मैं पाता हूं ||


एक चेहरा है जिसको देख मैं 


खुद को भूल जाता हूं -2


 


वह मुझे अनजान सी 


जब कहीं शहर में मिल जाती है |


वह पास से गुजर जाती है 


मैं रोक ना उसको पाता हूं ||


एक चेहरा है जिसको देख मैं 


खुद को भूल जाता हूं -3


 


इस कदर लोगों की नजर 


आ कर मुझ पर रुक जाती है |


लोगों का यह सीधा इशारा


देख सहम मैं जाता हूं ||


एक चेहरा है जिसको देख मैं 


खुद को भूल जाता हूं -4


 


झलक उसकी तस्वीर बन


 आंखों में मेरे बस गई |


आज तक था मैं अकेला 


अब साथ उसको पाता हूं ||


एक चेहरा है जिसको देख मैं 


खुद को भूल जाता हूं -5


 


इस तरह एक चांद को 


देखने की आदत बन गई |


जाग उठा प्रेम दिल में 


और खुद को मैं सताता हूं ||


एक चेहरा है जिसको देख मैं


 खुद को भूल जाता हूं -6


 


मिले ना दोस्त अगर तो 


यह ग़ज़ल खुद ही गुनगुनाता हूं |


एक चेहरा है जिसको देख मैं


 खुद को भूल जाता हूं ||- 7


 


 


 *डॉ बीके शर्मा* 


उच्चैन, भरतपुर ,राजस्थान


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