डॉ निर्मला शर्मा

" चमकता सितारा"


वो चमचमाता था फिल्मों का सितारा


असल जिंदगी में आज खुद से ही हारा


दवाब हैं ये कैसे ये कौनसी दुनिया है


ये कैसा हलाहल है कैसी मजबूरियाँ हैं


कितना दुर्लभ है ये मानवीय जीवन 


की आत्महत्या मन कौनसी थी सीवन


तनाव की हालत में घिर कर क्यों ?


दम तोड रहे आखिर ये फ़िल्मी सितारे


जीवन में तनाव है रिश्तों का अथवा


स्टारडम की गलियों में खोई है जिजीविषा


कामयाबी के शिखर पर बैठ मुस्कुराने वाला


जीवन के पथ पर अनवरत चलने वाला


आज थककर अनन्त निंद्रा में सो गया है


वो सितारों सा चमकता व्यक्तित्व आज


दूसरी दुनिया की आरामगाह में सो गया है


पता न चला किसी को भी अब तक


भीड़ भरी दुनिया में वो कैसे अकेला हो गया


मुस्कुराते चेहरे के पीछे कितना दर्द था छुपा


सारी दुनिया के सामने ये यक्ष प्रश्न छोड़ गया


तनाव और अकेलेपन की गहराती खाई में


जीवन रूपी पतंग की डोर छूट गई उसके हाथ से


सुशांत था वो अपने नाम की तरह संस्कारी


आसमां को छुआ था उसने कदमों में जमीं थी सारी


मायानगरी में मिलती तो है सफलता टूटकर


नहीं मिलता तो कोई यहाँ सच्चा हमसफ़र


सह न पाए तुम वो कौनसी ऐसी बात थी


अंतिम समय सब छोड़े सब केवल मृत्यु साथ थी


जाते तो सभी हैं दुनिया से एक दिन


पर ऐसे न जाते अभी और अपनी कला तुम दिखलाते


डॉ निर्मला शर्मा


दौसा राजस्थान


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