"जीवन को जीवंत बनायें"
विरोधाभासों के भँवर में
जब भी झूलती है ज़िन्दगी
तब जीवन के हर क्षण को महत्वपूर्ण बनाएँ
आओ मिलकर सब जीवन को जीवंत बनाएँ
भविष्य की चिंताओं को जाएँ हम भूल
ये चिंताएँ ही तो हैं हमारे दुख का मूल
उन सबको भूल वर्तमान को सुखद बनाएँ
आओ मिलकर सब जीवन को जीवंत बनाएँ
भावनाएँ तो मानव हृदय की जीवन्तता हैं
आँसू बहते हैं तो बहती संग वेदना है
होठों को मुस्कुराहट का सुंदर बाना पहनाएँ
आओ मिलकर सब जीवन को जीवंत बनाएँ
जीवन के सार को समझ प्रसन्नता फैलाएँ
अब हर क्षण के लिए सजग, सचेत हो जाएँ
अपने जीवन का हर क्षण उपयोगी बनाएँ
आओ मिलकर सब जीवन को जीवंत बनाएँ
जीवन होगा सन्तुलित तो
कदम मोक्ष की ओर जाएंगे
लेना-देना, साम्य-असाम्य
बिखराव की स्थिति से स्वतः उबर जाएंगे
उम्मीदों की डोर पकड़ना छोड़ दीजिए
मानसिक अशांति से स्वतः निकल पाएंगे
आओ मिलकर सब जीवन को जीवंत बनाएँ
डॉ निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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