डॉ निर्मला शर्मा दौसा राजस्थान

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस


गांजा, बीड़ी, मदिरापान 


सामाजिक अवनति का सामान


आदी होता मानव इनका


करै विविध पाने का सन्धान


व्यसन बुरा है इनका जाने


फिर भी बात नहीं वो माने


घर में राशन हुआ है खाली


बीड़ी, जर्दे की तड़प निराली


कोरोना ने बहुत रुलाया


बीड़ी, जर्दे को तरसाया


पाँच की पुड़िया पचास में लाया


छूटे न ये नशे का साया


खाँस -खाँस फेफड़े हैं फूले


शरीर खाता है हिचकोले


कैंसर को दावत देते हैं


नशे के आदी दम भरते हैं


न इनको परिवार की चिंता


दिनभर खड़े हैं जब यह मिलता


लगी है लाइन कड़ी धूप में


तपता सिर जेठ की दुपहर में


आस लगाए आँख गढ़ाये


मन बीड़ी को तरसा जाये


धुँए का उठता है जब छल्ला


स्वस्थ शरीर पर बोले वो हल्ला


करे तम्बाकू सबकी हानि


हालत जान करे नादानी


बन्द करो बीड़ी, जर्दा तुम


जिओ जिंदगी सभी स्वस्थ बन


व्यसन बुरा ये इसको त्यागो


समय विकट है अब तो जागो


डॉ निर्मला शर्मा


दौसा राजस्थान


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