बहिष्कार
( कहानी )
अचानक अखबार में भारतीय सैनिकों पर चीन के हमले की खबर ने सबको आहत कर डाला।कल तक तो दोनों देशों के बीच सन्धि वार्ता और सेनाओं को पीछे हटाने की सार्थक बात चल रही थी और आज ये हृदय भेदक खबर-------।
मन क्रोध और नफरत की आग से भड़क उठा।
देशभर में विद्रोह और प्रदर्शन होने लगे।समवेत स्वर में चीनी उत्पादों के बहिष्कार की माँगें उठने लगीं।
लोगों ने चीनी एप्प्स को मोबाइल से रिमूव करना स्टार्ट कर दिया।
सरकार ने रेलवे का करोड़ों का प्रोजेक्ट समाप्त कर दिया।
प्रधानमंत्री जी ने आपात बैठक की घोषणा की।आज देश चीन के विरोध में खड़ा था।
रमा बगीचे में पेड़ पौधों को पानी देते हुए इन सब बातों पर चिंतन-मनन कर ही रही थी कि उसी समय उसका दस साल का बेटा उसके पास आया और बोला----"मम्मी अब हमको चाइना मेड प्रोडक्टस् को यूज़ नहीं करना चाहिए न।"
आप ही तो कह रहीं थी पापा से।
रमा ने स्वीकृति में सिर हिलाते हुए" हाँ" में जवाब दिया ।
तो मम्मा हमारे घर में चाइनीज़ आइटम्स अभी तक रखे क्यों हैं?
आपको याद है एक बार आपने और पापा ने मुझे आज़ादी की कहानी सुनाई थी।
उसमें आपने असहयोग आंदोलन औऱ स्वदेशी आंदोलन की बातें बताई थीं ।
तब पूरे भारत ने कैसे विदेशी वस्त्रों और सामानों का बहिष्कार कर दिया था।
तभी राजीव भी वहाँ आ गए थे।वे मुस्कुराते हुए बोले-अरे भाई !आज कौनसी चर्चा हो रही है आजादी की।
पापा मै मम्मी को आज स्वदेशी आंदोलन की याद दिला रहा हूँ।
आप सभी चीन के प्रोडक्ट्स को यूज़ न करने की बात तो कर रहे हैं पर इसे लाइफ में अप्लाई कब करेंगे!!
मैं बहुत एक्साइटेड हूँ।
जैसे उस समय अंग्रेज़ों को मुँह की खानी पड़ी, आज चीन को नाक रगड़वानी है।
उसे स्वदेशी की ताकत दिखलानी है।
मै और रमन अपने बेटे की बातें सुन एकदूसरे का मुँह आश्चर्यजनक से देख रहे थे।
मन मैं कितनी प्रसन्नता थी बताया नहीं जा सकता।
तभी बाहर से उसके दोस्तों ने खेलने के लिए उसे आवाज़ लगाई तो अनुमति लेकर वह चला गया।
अब बारी हमारी थी।
राजीव ने प्रसन्न मुद्रा मैं कहा--रमा ये विचार हमारे मन में क्यों नहीं आया?
पर फिर भी, मैं आज बहुत खुश हूँ।
ये है हमारी आने वाली पीढ़ी!जो देश हित में सदैव तत्पर रहेगी।
तब बेटे के लौटने पर सबने मिलकर चीनी समान का विरोध करने की मुहिम घर से ही स्टार्ट कर दी।
घर के बाहर चीनी लाफिंग बुद्धा, फेंगशुई के अन्य आइटम्स को चादर बिछा पटकना शुरू किया और जमा कर उन्हें नष्ट कर दिया।
देखते ही देखते यह खबर आग की तरह शहर में फैल गई और एक नवीन आंदोलन की शरुआत हो गई।
आइए हम भी---- चीनी सामान को हटाएँ
औऱ स्वदेशी अपनाएँ।
डॉ. निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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