🌝 चाँद 🌙🌙
चाँद आसमान मैं ही नहीं
जीवन मैं भी रहता है छाया
जन्म से ही देखती हूँ उसे
आसमान मैं तारों के बीच अलसाया
छोटी थी तो ख्वाहिश थी उसे पाने की
चन्दा मामा बनकर वो जीवन मैं आया
बड़ी होते होते चाँद का अलग ही अर्थ पाया
चाँद से मुखड़े वाली,
ईद का चाँद, चाँद निकलना
चाँद पर थूकना -------
ऐसे कई मुहावरे मुझसे आजीवन जुड़े रहे
खुशी हो या गम
या मन के हो कोई भी उदगार
मैं बाँट ही लेती थी चाँद से हर बार
मेरा दुख सुख का साथी
था वो मेरा बचपन का यार
चाँद वो अपना सा
जिसे सब करते हैं प्यार
✍️✍️डॉ निर्मला शर्मा
🙏🏻 राजस्थान
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