डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश

'लद्दाख में वीरगति को प्राप्त वीर सैनिकों को भावपूर्ण और अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि 


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एक भावपूर्ण कविता 


 


 


सीमा पर तेरी शहादत को


       जीवन में भूल नहीं सकते,


तुम गौरव हो भारत माँ के 


       हम तुमको भूल नहीं सकते। 


 


अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित जो 


         प्राणों का मोल नहीं करते,


भारत माँ के अमर सपूत


        जो दुश्मन से नहीं डरते।....


 


हम बीस के बदले सौ मारेंगे


    दुश्मन से मनुहार नहीं करते।.. 


         


राम कृष्ण बुद्धा की धरती 


        हैं कायर यहाँ नहीं बसते,


तेरे जैसे अधम नहीं हम 


     छिपकर प्रहार नहीं करते।.....


 


पोषक नहीं साम्राज्यवाद के 


      हम अनाधिकार नहीं करते।..


 


क्यों माँद में छिपकर बैठे 


       लड़ना है सम्मुख आओ,


सीना तान खड़े सीमा पर 


        छद्मवेश मत दिखालाओ। 


 


वीरों की भाँति जंग करते हैं 


     हम मिथ्या प्रलाप नहीं करते।.


 


बहुत हुआ है आँख मिचोली 


      अब अक्साई चीन हमें दे दो, 


जो जबरन कब्जा कर बैठे हो 


         अब वह ज़मीन हमें दे दो। 


 


हम सिंहों से लड़ने वाले हैं 


      गीदड़ पर वार नहीं करते।.. 


 


अब तुम्हें चुनौती देते हैं हम 


       मैदान-अ-जंग में आ जाओ, 


साहस है तो जंग करो तुम 


       कायरता तो मत दिखलाओ। 


 


भारत माँ के स्वाभिमान को 


       हम तार-तार नहीं करते।....


 


मौलिक रचना -


डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश' 


(सहायक अध्यापक, पूर्व माध्यमिक विद्यालय बेलवा खुर्द, लक्ष्मीपुर, महराजगंज, उ० प्र०)


मो० नं० 9919886297


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