डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश' 

चीन को चेतावनी 


               एक कविता 


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विषय:- 'देश के रक्षक' 


 


 


हम देश के रक्षक हैं 


हमसे ना टकराना तुम, 


हम आज के भारत हैं


इसे भूल ना जाना तुम।..... 


 


सेनाओं का हुंकार सुनों 


डटी हुई नभ थल जल में, 


ब्रम्होस, अग्नि, नाग, पृथ्वी 


जो लक्ष्य भेदते हैं पल में।


 


भारत को प्राप्त महारथ है 


खुद को ही समझाना तुम।..... 


 


खड़ा हिमालय रक्षा में है 


सागर कदमों को चूम रहा है, 


देश के खातिर मर मिटने को 


हर हिन्दुस्तानी झूम रहा है। 


 


कतरा-कतरा संहारक है 


दुश्मन को बतलाना तुम।..... 


 


गंगा यमुना ब्रह्मपुत्र राप्ती 


कल-कल नदियाँ बहती हैं, 


सबसे पहले यहाँ पहुँच कर 


सूरज की किरणें कहती हैं। 


 


है शस्य-श्यामल वीर भूमि 


इसको ना आँख दिखाना तुम।...


 


मौलिक रचना -


डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश' 


महराजगंज, उ० प्र० 


मो० नं० 9919886297


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