शीर्षक-:- 'पूनम का चाँद'
एक कविता
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ओ प्रिय
जलता दिया हो
या पूनम का चाँद हो तुम
जूही की कली हो
या खिलता गुलाब हो तुम।
ओ प्रिय
नीहार में नहायी सी तुम
कपोल पंखुड़ी कमल सा
टपकने को आतुर अधर
व्याकुल उर का उच्छ्वास हो तुम
जलता दिया हो
या पूनम का चाँद हो तुम।
ओ प्रिय
मेघ वर्णी सन्ध्या हो या
स्वर्णिम उषा हो तुम
देवांगना हो कोई या
चाँदनी शरद की हो
सुधा बनकर बुझाती प्यास हो तुम
जलता दिया हो
या पूनम का चाँद हो तुम।
अकथ कथा सी तुम जैसे
करते हैं मौन-सम्भाषण
निर्निमेष नयन तेरे
करती विचरण स्वच्छन्द उपवन में
मेरे उरांगन में, अनन्त कल्पना में
और काव्य में करती वास हो तुम
जलता दिया हो
या पूनम का चाँद हो तुम।
रचना- डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश' गोरखपुरी
(सहायक अध्यापक, पूर्व माध्यमिक विद्यालय बेलवा खुर्द, लक्ष्मीपुर, जनपद- महराजगंज, उ० प्र०)
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