एक कविता
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विषय:- 'कलमकार'
राष्ट्र धर्म के पथ पर चलता
कर्तव्यनिष्ठ अडिग मैं रहता
सजग राष्ट्र का पहरेदार हूँ,
क्योंकि मैं कलमकार हूँ।.....
कलम को हथियार बनाता
शब्दों में मारक क्षमता लाता
मैं समाज का जिम्मेदार हूँ,
क्योंकि मैं कलमकार हूँ।........
इतिहास हमें है बतलाया
जब राष्ट्र पर संकट आया
तब-तब बना स्तम्भकार हूँ,
क्योंकि मैं कलमकार हूँ।.......
पीड़ित होता शोषित-वंचित
श्रमिक सर्वहारा अपवंचित
कलम बनाता हथियार हूँ,
क्योंकि मैं कलमकार हूँ।......
आतंकवाद व नस्लवाद से
भ्रष्टाचार व जातिवाद से
करता सबको खबरदार हूँ,
क्योंकि मैं कलमकार हूँ।......
मानवता को पोषित करता
सर्वधर्म को पुष्पित करता
सर्व दृष्टि में असरदार हूँ,
क्योंकि मैं कलमकार हूँ।.....
मैं समाज का चित्तवृत्ति हूँ
उसका संचित प्रतिबिम्ब हूँ
शिक्षित हूँ और सदाचार हूँ,
क्योंकि मैं कलमकार हूँ।....
मौलिक रचना -
डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश'
महराजगंज, उ० प्र०
मो० नं० 9919886297
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